
देहरादून — स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 की राष्ट्रीय रिपोर्ट में उत्तराखंड के शहरी निकायों ने इस बार मिश्रित प्रदर्शन किया है। राज्य के 107 निकायों में से 27 निकायों की राष्ट्रीय रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि ऋषिकेश के गंगा घाटों को पूरे देश में सबसे स्वच्छ घोषित किया गया है, जबकि लालकुआं को उभरते हुए स्वच्छ शहर की श्रेणी में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।
शहरी विकास विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस बार छोटे नगर निकायों — विशेषकर नगर पालिका और नगर पंचायतों — ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। कई निकायों की रैंकिंग में 2800 तक का सुधार देखा गया है, जो बताता है कि जमीनी स्तर पर स्वच्छता को लेकर सकारात्मक प्रयास किए गए हैं।
✅ प्रमुख शहरों की रैंकिंग में बड़ा सुधार
50 हजार से तीन लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रुद्रपुर, डोईवाला, पिथौरागढ़, कोटद्वार, ऋषिकेश और रामनगर जैसे शहरों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है।
- रुद्रपुर की रैंकिंग में 349 अंकों का सुधार हुआ है।
- डोईवाला ने 1219 पायदान की लंबी छलांग लगाई है।
- पिथौरागढ़ की रैंकिंग में 2434 अंकों का सुधार आया।
- कोटद्वार की स्थिति में 73, ऋषिकेश में 55 और रामनगर में 1913 अंकों का सुधार देखा गया।
इसी तरह 20,000 से 50,000 की आबादी वाले नगरों में मसूरी, मुनि की रेती, टिहरी, लक्सर, अल्मोड़ा, टनकपुर, सितारगंज और बाजपुर जैसे शहरों ने अपनी रैंकिंग में सैकड़ों से हजारों तक की छलांग लगाई है।
✅ 20,000 से कम आबादी वाले क्षेत्रों का प्रदर्शन
छोटे कस्बों और नगर पंचायतों में भी जागरूकता और साफ-सफाई की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं।
- लालकुआं की रैंकिंग में 1697 अंकों का सुधार हुआ और इसे राष्ट्रीय स्तर पर विशेष सम्मान मिला।
- भीमताल, भवाली, चिन्यालीसौड़, बड़कोट, विकासनगर, गुलरभोज, नरेंद्रनगर, लोहाघाट, और भिकियासैंण जैसे स्थानों की रैंकिंग में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है।
❌ कुछ बड़े शहरों की स्थिति चिंताजनक
जहां कुछ निकायों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, वहीं देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर, रुड़की, और हल्द्वानी जैसे बड़े और अपेक्षाकृत विकसित शहरों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
- देहरादून नगर निगम की राष्ट्रीय रैंकिंग में तो 6 अंकों का सुधार देखा गया, लेकिन राज्य रैंकिंग में यह पिछड़कर 13वें स्थान पर पहुंच गया।
- मुनिकीरेती, जिसे पिछले वर्ष राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था, अब गिरकर 17वें स्थान पर आ गई है।
🗑️ कचरा प्रबंधन और डोर-टू-डोर कलेक्शन में गिरावट
स्वच्छता सर्वेक्षण में एक प्रमुख पैरामीटर ‘डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण’ में राज्य का प्रदर्शन पिछला वर्ष के मुकाबले गिरा है।
- वर्ष 2024 में यह दर 69.76% थी, जो इस बार घटकर 56.6% रह गई।
- इससे साफ होता है कि कई निकायों में स्थायी ढांचे या संसाधनों की कमी अब भी चुनौती बनी हुई है।
🌟 कचरा मुक्त शहरों की रैंकिंग
कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में इस बार मामूली सुधार देखने को मिला है।
- पिछले साल केवल देहरादून को 3 स्टार की मान्यता मिली थी।
- इस बार लालकुआं, रुद्रपुर, डोईवाला और विकासनगर को 1 स्टार मिला है।
- देहरादून इस श्रेणी में इस बार शून्य स्टार पर आ गया है, जो राजधानी जैसे शहर के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
🇮🇳 कैंटोनमेंट बोर्ड की रैंकिंग
उत्तराखंड के 9 कैंटोनमेंट बोर्डों की रैंकिंग भी जारी की गई है:
- लैंसडौन को 17वां, रानीखेत को 18वां, रुड़की को 22वां, गढ़ी कैंट देहरादून को 29वां, अल्मोड़ा को 36वां स्थान मिला।
- लंढौर (मसूरी) को 50वां और नैनीताल कैंट को 52वां स्थान मिला है।
🌊 गंगा टाउन की स्वच्छता रैंकिंग
गंगा किनारे बसे नगरों में उत्तराखंड की स्थिति मिश्रित रही।
- प्रयागराज ने राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान हासिल किया।
- उत्तराखंड के मुनिकीरेती को 17वां, हरिद्वार को 18वां, गौचर, श्रीनगर, चमोली-गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी (बाड़ाहाट), नंद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, कीर्तिनगर, जोशीमठ आदि को क्रमश: 27वें से 57वें स्थान तक रैंक मिली है।
📊 उत्तराखंड के टॉप-20 शहर (स्टेट रैंक | नेशनल रैंक)
शहर का नाम | राज्य रैंक | राष्ट्रीय रैंक (2024) |
---|---|---|
लालकुआं | 1 | 54 (1751) |
रुद्रपुर | 2 | 68 (417) |
मसूरी | 3 | 169 (1341) |
डोईवाला | 4 | 299 (1518) |
पिथौरागढ़ | 5 | 177 (2611) |
भीमताल | 6 | 350 (3207) |
भवाली | 7 | 352 (3090) |
चिन्यालीसौड़ | 8 | 357 (3008) |
कोटद्वार | 9 | 232 (305) |
ऋषिकेश | 10 | 249 (304) |
विकासनगर | 11 | 510 (2683) |
बड़कोट | 12 | 527 (3411) |
देहरादून | 13 | 62 (68) |
हल्द्वानी | 14 | 291 (211) |
रामनगर | 15 | 295 (2208) |
गुलरभोज | 16 | 631 (2197) |
मुनिकीरेती | 17 | 561 (1188) |
नरेंद्रनगर | 18 | 662 (1471) |
लोहाघाट | 19 | 670 (2637) |
हरिद्वार | 20 | 363 (176) |
स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 ने उत्तराखंड को चेताया है कि जहां छोटे नगर और कस्बे बेहतर कर रहे हैं, वहीं बड़े शहरों को अपनी पुरानी लय वापस पाने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, अपशिष्ट प्रबंधन, जनभागीदारी और नीतिगत सतर्कता ही अगली रैंकिंग में बेहतर स्थान दिला सकते हैं। साथ ही, गंगा नगरों और पर्यटन स्थलों को विशेष प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ताकि राज्य की स्वच्छ छवि देश-दुनिया में मजबूत हो सके।