
बदायूं | बदायूं जिले के उसावां थाना क्षेत्र के अहमद नगर रुखाड़ा गांव निवासी प्रमोद राठौर ने बताया कि उसहैत थाना क्षेत्र की एक युवती ने खुद को यादव जाति की बताकर प्रेमजाल में फंसा लिया, जबकि वह असल में खटिक जाति की है।
प्रेम संबंधों के दौरान युवती ने खटिक, अहीर और जाटव जातियों के तीन अलग-अलग जाति प्रमाणपत्र भी दिखाए। जब प्रमोद को सच्चाई का पता चला तो उसने विरोध किया और युवती से अलग हो गया।
सरकारी योजनाओं और परीक्षाओं में लाभ
प्रमोद का आरोप है कि युवती ने इन फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के जरिए सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया है। युवती इस धोखाधड़ी में प्रमोद को भी शामिल करना चाहती थी, लेकिन प्रमोद ने इससे इंकार कर दिया। इसके बाद युवती गांव के ही एक अन्य युवक के साथ रहने लगी।
झूठे मुकदमे और उत्पीड़न के आरोप
प्रमोद का कहना है कि जब उसने युवती के खिलाफ अधिकारियों से शिकायत की तो कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बाद युवती ने बदले की भावना से उसके भाई सुधीर कुमार, बहनोई पप्पू राठौर, मुन्ना लाल राठौर और अशोक वर्मा के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट, बलात्कार, छेड़खानी, मारपीट और हत्या के प्रयास जैसे संगीन आरोपों में सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया।
हमला, लूट और मारपीट का आरोप
प्रमोद ने आरोप लगाया कि
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24 अक्तूबर 2024 को युवती अपने पिता, भाई और नए प्रेमी के साथ उसके घर में जबरन घुस आई।
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प्रमोद की मां रामवती को पीटा गया, बीस हजार रुपये नकद और सोने-चांदी के आभूषण लूट लिए गए।
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1 दिसंबर 2024 को गांव के बाहर प्रमोद को पीटा गया और जान से मारने की कोशिश की गई।
इन शिकायतों पर थाने में कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए प्रमोद ने कोर्ट की शरण ली। अब अदालत के आदेश पर उसावां पुलिस ने युवती समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
निष्कर्ष
यह मामला आरक्षण प्रणाली के दुरुपयोग, फर्जी प्रमाणपत्रों की धांधली, और झूठे आरोपों का हथियार बनाए जाने की गहरी समस्या को उजागर करता है। यह केवल प्रेम-प्रसंग का मामला नहीं, बल्कि कानूनी और सामाजिक व्यवस्था की परीक्षा का मामला बन गया है। पुलिस को अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।