
देहरादून — उत्तराखंड सरकार ने पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए लाखों अभिभावकों और स्कूलों को राहत दी है। अब कक्षा 1 में दाखिले के लिए बच्चे की उम्र 1 जुलाई तक 6 साल पूरी होनी चाहिए। पहले यह सीमा 1 अप्रैल तक निर्धारित थी, जिससे कई बच्चे सिर्फ दो-तीन महीने की कमी के चलते दाखिले से वंचित हो जाते थे।
आधिकारिक संशोधन और अधिसूचना
यह संशोधन “उत्तराखंड निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियमावली 2025” के तहत किया गया है। शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह संशोधन शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 में संशोधन कर लागू किया गया है।
आखिर क्यों था बदलाव जरूरी?
पहले नियम के अनुसार, बच्चे की उम्र 1 अप्रैल तक 6 साल होनी जरूरी थी। इसके चलते उन बच्चों को एक साल तक इंतजार करना पड़ता था, जिनकी उम्र अप्रैल के बाद — मई, जून या जुलाई में 6 साल पूरी हो रही थी। इस विषय को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष भी उठाया गया था। आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने इस पर पुनर्विचार के निर्देश दिए थे।
स्कूलों को मिलेगा लाभ
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस बदलाव से न केवल अभिभावकों को राहत मिलेगी, बल्कि स्कूलों में भी नए सत्र (2025-26) में दाखिले बढ़ेंगे। पहले आयु सीमा के कारण कई स्कूलों में दाखिलों की संख्या घटी थी।
जिन्होंने पहले ही प्री-स्कूल में दाखिला लिया है, उन्हें नहीं होगी कोई परेशानी
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिन बच्चों ने वर्तमान में नर्सरी, एलकेजी या यूकेजी में दाखिला ले लिया है, उन्हें अगले सत्र में कक्षा 1 में पढ़ाई जारी रखने दी जाएगी। उनके लिए नियमों में कोई बाधा नहीं होगी, ताकि शिक्षा की निरंतरता बनी रहे।
आगे के वर्षों के लिए नई गाइडलाइन
आने वाले सत्रों से सभी विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्री-स्कूल में दाखिले की आयु-सीमा ऐसी हो कि बच्चा 6 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद ही पहली कक्षा में प्रवेश पाए। इस नीति से शैक्षिक ढांचे में एकरूपता और संतुलन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार का यह फैसला उन हजारों अभिभावकों के लिए राहत की सांस है, जो अपने बच्चों की कुछ महीनों की आयु कमी के चलते शिक्षा की शुरुआत में ही अवरोध देख रहे थे। यह बदलाव शिक्षा को अधिक समावेशी, व्यावहारिक और लचीला बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।