नैनीताल। तपोवन के पास बादल फटने के कारण देवखड़ी नाले ने कृष्णा विहार,देवकी विहार, गायत्री कॉलोनी में भयंकर तबाही मचाई। नाला टूटने से 70 घरों में मलबा घुस गया। बड़े-बड़े पत्थर लोगों के घरों में घुस गए। दो बसें आधी मलबे में दब गई। 15 कारें बह गई। उधर बटाईदार की झोपड़ी नाले टूटने के कारण बह गई। पांच सदस्यों ने बड़ी मुश्किल से जान बचाई। उधर घरों में पानी घुसने से लोगों का करीब 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो गया।
सोमवार शाम 6:45 बजे देवखड़ी नाला टूट गया। नाले का पानी और मलबा लोगों के घरों में घुसने लगा। डेढ़ घंटे में नाले का पानी मलबा, बोल्डर सहित 70 घरों में घुस गया। लोग जान बचाने के लिए छत में भागे। जब तक पानी कम नहीं हुआ। लोग घरों की छत में ही बैठे रहे। बारिश का पानी कम होने के बाद जब लोग घरों से उतरे तो मंजर खौफनाक था। घरों में दो-दो फिट मलबा घुस गया था। लोगों के घरों में रखा सामान, फ्रिज, कूलर आदि खराब हो गए। सड़कें एक से पांच फिट मलबे में दब गई। लोगों की घरों की भूमिगत टंकी मलबे से भर गई। बारिश रुकने के बाद लोग अपना सामान निकालने में लगे रहे।
उधर वन विभाग फतेहपुर रेंज के वनक्षेत्राधिकारी केएल आर्या ने बताया कि कक्ष संख्या 13 तपोवन के पास बादल फटने के कारण ये हाल हुए हैं। कहा कि आधे घंटे में करीब 120 एमएम बारिश हुई है। देवखड़ी नाले के उपर पहाड़ है। इसके नीचे लोगों के घर हैं। जब नाला टूटा तो उसके पास नीचे दो बस खड़ी थी। ये बस आधे मलबे में दब गई। सड़क पर पांच फिट मलबा आ गया। उधर 15 कारों में मलबा घुस गया। लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। पानी और मलबे के कारण सड़क पर खड़ी कार और बाइकें बह गई। लोगों ने बताया कि 15 वाहन बहे। बाद में ये वाहन किसी की दीवार दो कोई मोड़ पर जाकर रुका।
बस ने मलबे को काफी हद तक लोगों के घरों में घुसने से बचाया। नाला टूटने के जिस स्थान पर बस खड़ी थी। बस के कारण मलबा बस के आसपास रूक गया। बसें आधी मलबे से दब गई। नाले के पास एक मकान पर भारी मलबा घुस गया। उस मकान के खिड़की तक मलबा भर गया। घर वालों ने बताया कि मलबा और पानी खिड़की से उनके अंदर आ गया। कहा कि थोड़ी देर और पानी नहीं रुकता तो उनका मकान बह जाता। विवेक बृजवासी ने आरोप लगाया कि जिस समय वन विभाग नाले को साफ कर रहा था तो उन्होंने अपने खेत से जेसीबी को नाले तक जाने का रास्ता दिया।
उस समय हमने वन विभाग से कहा कि यहां पर तार के जाल और पत्थर लगा दो वे नहीं माने। कहा कि वन विभाग की लापरवाही से उनके पूरे धान बह गए। खेत में मलबा घुस गया। उनके बटाईदार की झोपड़ी और पूरा सामान बह गया। उनके परिवार ने बमुश्किल जान बचाई। नाले के बगल से तीन इंच की पेयजल लाइन आ रही है। ये नाला टूटने के कारण पूरी तरह बह गई। इससे करीब 1200 परिवार के सामने पेयजल संकट पैदा हो गया है। नाला टूटने के कारण सड़क पर भारी मलबा आ गया है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कांडपाल ने निरीक्षण के बाद बताया कि 30 आदमी लगातार काम करें तो मलबे को सात दिन में साफ किया जा सकता है।