मुरादाबाद। देशभर के लोगों को अब तक 25 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुके साइबर ठगों के गिरोह में 40 से ज्यादा लोग शामिल हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि इनमें कई आरोपी तो ऐसे हैं, जिन्होंने महंगी गाड़ियां और आलीशान मकान बना लिए हैं। अब पुलिस पकड़े गए लोगों से पूछताछ में मिले इनपुट के आधार पर उनके साथियों की तलाश में जुटी हैं। साइबर अपराध थाने के प्रभारी धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि व्यापारी ने जिन खातों में रकम ट्रांसफर की थी। उन खातों की डिटेल निकलवाई।
जिसे पता चला कि फैक्टरी में मजदूरी करने वाले लोगों के खाते में रकम ट्रांसफर हुई थी। टीम कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए आरोपियों तक पहुंच गई। पुलिस ने राजस्थान के भरतपुर जनपद के सिकरी थाना क्षेत्र के बेला गांव निवासी लुकमान, अशफाक और अलवर जनपद के चौपांकी निवासी अफरीद, मथुरा जनपद के कोसी थाना क्षेत्र के नंगला सिरौली निवासी नासिर और मुरादाबाद के बिलारी थाना क्षेत्र के स्योहारा निवासी मो. यूसुफ को पकड़ लिया।
इनसे पूछताछ की तो पता चला कि उनके गिरोह में 40 से ज्यादा लोग शामिल हैं। इनके गिरोह में इरशाद, अल्ली और रियासत समेत अन्य लोग शामिल हैं। उन्होंने साइबर ठगी की रकम से महंगी गाड़ियां और अपना आलीशान मकान भी बना लिया है। पुलिस ने जिन पांच आरोपियों को पकड़ा है उनमें दसवीं फेल हैं। बावजूद इसके पढ़े लिखे और व्यापारी व डॉक्टर समेत अन्य लोगों को ठग रहे हैं।
अश्लील वीडियो के जरिए लोगों को ऐसे फंसाते हैं कि लोग चुपचाप इनके बताए खाते में रकम ट्रांसफर कर देते हैं। अश्लील वीडियो के जरिए लोगों को फंसाकर आरोपी के कुछ साथी खुद को क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर विक्रम राठौर और राम पांडे बताकर कॉल करते हैं। उन्हें धमकाते हैं कि अगर रकम नहीं भेजेंगे तो हमारी टीम गिरफ्तार करने आ रही है। बिलारी के स्योहारा गांव निवासी यूसुफ करीब एक साल पहले राजस्थान के भरतपुर में मजदूरी करने गया था।
वहां एक ढाबे पर उसकी मुलाकात अशफाक और लुकमान से हो गई थी। इसके बाद वह आरोपियों के शामिल हो गया था। जबकि मथुरा का नासिर राजस्थान के अफरीद का रिश्तेदार है। पुलिस की गिरफ्त में आए अशफाक ने बताया कि राजस्थान के गांव खासकर यूपी बॉर्डर से सटे गांवों में साइबर अपराधी तेजी से बढ़े हैं। झारखंड के जामतारा की तरह यहां के युवा साइबर अपराध को एक धंधे की तरह कर रहे हैं।
अशफाक ने बताया कि उसके साथी इरशाद, अल्ली और रियासत जामतारा के कुछ साइबर ठगों के संपर्क में रहे थे। उनके जरिए ही साइबर ठगी करना शुरू किया। आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उनके गिरोह में 14 और 15 साल के किशोर भी शामिल हैं। इन किशोरों को ट्रेंड किया गया। किशोर लोगों को नए नए नंबर से कॉल कर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं।