दिल्ली से 410 किलोमीटर की दूरी पर भीड़भाड़ से दूर हिल स्टेशन है- मोरी। उत्तर-पश्चिम गढ़वाल क्षेत्र स्थित मोरी उत्तरकाशी जिले के बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है। मोरी हिल अपने आप में खूबसूरती के लिए मशहूर है। यहां की सुंदरता और मनोहारी दृश्य इस हिल स्टेशन का बढ़ा देते हैं। यहां का शांत वातावरण, स्वच्छ हवा और मौसम इसे बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक बनाते हैं। पेड़ों से लदे पहाड़। हरे-भरे धान के खेत, कल-कल बहती टान्स नदी, बेहतरीन वॉटरफॉल, झीलें और देवदार के पेड़ मोरी को और भी मनोहारी बनाते हैं। एशिया का सबसे लंबा देवदार का जंगल मोरी में ही है।
मोरी न सिर्फ प्राकृतिक संपदा का धन है बल्कि प्राचीन मंदिरों और बेहतरीन वास्तुशिल्प से भी समृद्ध है। समुद्रतल से 1150 मीटर ऊपर टॉन्स नदी के किनारे है मोरी। यहां बहने वाली टॉन्स यमुना की सहायक नदियों में से एक है। टॉन्स घाटी के लोग यह दावा करते हैं कि वे पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। वे आज भी उन दिनों की संस्कृति, बहु विवाह को मानते हैं।
यहां के टॉन्स नदी में रिवर राफ्टिंग का आनंद लिया जा सकता है। यहां पर कैम्पिंग भी की जा सकती है। इसके लिए यहां सारा सामान उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा हाइकिंग, ट्रेकिंग, नेचर वॉक का आनंद किया जा सकता है। चिड़ियों की चहचहाहट, वनस्पति और जीव-जंतु पर्यटकों को चौका देते हैं। रॉक क्लांइबिंग भी मोरी के मशहूर खेलों में शामिल है।
मोरी में देखने लायक बहुत कुछ है जैसे-
- इच्छारी बांध- यह बांध मोरी के मुख्य आकर्षण में से एक है। यह बांध टॉन्स नदी पर बना है। किवदंती के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यह नदी राक्षसी सूर्पनखा के आंसुओं से उत्पन्न हुई थी।
- दुर्योधन मंदिर- यह मंदिर पांडवों का बनाया है। लकड़ियों से बना मंदिर बेहतरीन कलाकृति का उदाहरण है। यह मंदिर कौरवों के सबसे बड़े भाई दुर्योधन को समर्पित है।
- लुनागढ़ क्रीक- यह एक खूबसूरत पैलेस में से एक है। मोरी से 30 मिनट पैदल का रास्ता तय कर इस पैलेस तक पहुंचा जा सकता है। इसमें छोटा सा तालाब और वाटरफॉल भी देखा जा सकता है। यह एशिया के सबसे बड़े देवदार के जंगलों से घिरा है। इसमें बच्चों और बड़ों दोनों के लिए प्रकृति से जुड़े विभिन्न एडवेंचर हैं।
- नेटवार- मोरी से ग्यारह किलोमीटर दूर आयाताकार लकड़ी का बना एक मंदिर दुर्योधन के मित्र कर्ण को समर्पित है।
- जैखोल- मोरी से 20 किलोमीटर की दूरी पर टॉन्स घाटी के ऊपर है जैखोल गांव। यह छोटा सा गांव देवदार जंगलों के बीच है।
- मोरी जाने के लिए मसूरी से बस या टैक्सी ली जा सकती है। मसूरी से मोरी सिर्फ 139 किलोमीटर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट देहरादून है, जो 170 किलोमीटर दूर है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है जो 178 किलोमीटर की दूरी पर है।
- यहां जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक है। ठंड में यहां का तापमान दो डिग्री तक हो जाता है।