जोशीमठ। उद्यान विभाग की भूमि पर बनाए जा रहे प्री फैब्रिकेटेड मॉडल हट का कार्य शुरू हुए एक माह का समय पूरा हो गया है। लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए हैं। जोशीमठ में भू धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए प्रशासन ने 18 जनवरी से उद्यान विभाग की भूमि पर प्री फैब्रिकेटेड हट बनाने का काम शुरू किया।
वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके के इन हटों को आपदा प्रभावितों को दिखाया जाना है, जिससे वह इसको लेकर अपनी राय दे सकें। यदि उन्हें यह पसंद आते हैं तो जहां उन्हें विस्थापित किया जाएगा इसी तरह के हट बनाए जा सकेंगे। लेकिन एक माह से अभी तक यह हट बनकर तैयार नहीं हो पाए हैं।
यहां पर वन बीएचके और टू बीएचके के हट में टाइल्स बिछाई जा चुकी हैं। अब इनमें छिटपुट काम ही शेष हैं। जबकि थ्री बीएचके में अभी टाइल्स बिछाने का काम शेष है। इनको पूरी तरह से तैयार होने में अभी और समय लगेगा। प्री-फैब्रिकेटेड घरों को देखने गए सिंहधार वार्ड के आपदा प्रभावित प्रकाश का कहना है कि बनाए जा रहे इन घरों के निर्माण में बहुत समय लग रहा है। घरों का निर्माण जल्द किया जाए। इन घरों के कमरे छोटे हैं। इन घरों की छत और आंगन भी नहीं है, जिससे आगे दिक्कत आ सकती है।
आपदा प्रभावित पवन का कहना है कि सरकार की ओर से बनाए जा रहे ये हट ठीक हैं, लेकिन इनके निर्माण में समय अधिक लग रहा है। यदि जल्द इनका निर्माण होता है तो राहत शिविरों को छोड़कर इन पर रह सकते हैं। राहत शिविरों से बच्चों को स्कूल भेजने में भी दिक्कतें आ रही हैं। ढाक में बनाए जा रहे 15 प्री-फैब्रिकेटेड घरों में पेयजल लाइन बिछाने के लिए जल संस्थान की ओर से जिला प्रशासन को 49 लाख का स्टीमेट दिया गया है।
विभाग की ओर से लाइन बिछाने के लिए इन दिनों टेंडर प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता राजेश निर्वाल ने बताया कि पेयजल लाइन कितने इंच की बिछाई जाएगी, इसके लिए विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। प्री-फैब्रिकेट घरों में बिजली लाइन के लिए 250 केवी (किलोवाट) का अलग से ट्रांसफार्मर लगाया जाएगा। बिजली लाइन बिछाने के लिए 15 खंबे स्थापित किए जाएंगे। ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता अमित सक्सेना ने बताया कि उपभोक्ताओं की डिमांड के हिसाब से उन्हें बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे।
एक सामान्य घर के लिए दो किलोवाट बिजली की जरुरत होती है। यदि उपभोक्ता इससे अधिक के कनेक्शन की मांग करते हैं तो उन्हें बिजली मुहैया कराई जाएगी। इन घरों के निर्माण में सीमित मजदूरों को ही लगाया जाता है। आरडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता अला दिया ने बताया कि प्री-फैब्रिकेटेड घरों को बनाने का काम सीमित मजदूरों से ही कराया जाता है। इनके निर्माण में फाइबर सीट और टाइल्स की कटिंग की जाती है। इसी कार्य में अधिक देरी लगती है। इसके निर्माण में छोटे-छोटे काम होते हैं, जिससे देरी लगती है।