थार मरूस्थल के बीच बसा राजस्थान का जैसलमेर शहर अपनी पीले पत्थर की इमारतों और रेत के धोरों पर ऊँटों की कतारों के लिए विश्व विख्यात है। ‘गोल्डन सिटी’ के नाम से लोकप्रिय जैसलमेर पाकिस्तान की सीमा के निकट है और यह शहर एक तरह से भारत के सीमा प्रहरी के रूप में कार्य करता है। जैसलमेर का सबसे प्रमुख आकर्षण है जैसलमेर का क़िला, जिसे सोनार किला (द गोल्डन फोर्ट) के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर की कला, संस्कृति, किले, हवेलियाँ और सोने जैसी माटी और यहाँ की रेत के कण-कण में सैंकड़ों वर्षों के इतिहास की गाथाएं पर्यटकों को यहां बार-बार खींच लाती हैं।
जैसलमेर के लिए विशेष व्यवस्था
राजस्थान पर्यटन विकास निगम जैसलमेर शहर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित मनोरम बालू के टीलों का भ्रमण करने के लिए परिवहन की शानदार व्यवस्था करता है। इन मनोरम टीलों की यात्रा किए बिना जैसलमेर की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। तेज हवाओं के कारण यहां बड़े−बड़े रेत के ढालू बने हुए हैं जो मृगमरीचिका की भांति दिखाई देते हैं। ये टीले बहुत खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि हवाओं के साथ ये रेत के टीले अपना स्थान बदलते रहते हैं और यह भी प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार-सा दिखाई देता है। इन रेतीले टीलों पर सूर्य निकलने और सूर्यास्त होने का दृश्य आपकी स्मृति पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो जाएगा। पूर्णतः शांत वातावरण में रेत के छोटे−छोटे पहाड़ों के पीछे से आग के लाल−लाल चक्र का दृश्य कभी भी नहीं भूला जा सकता है। सूर्यास्त के बाद एक रहस्यपूर्ण खामोशी-सी छा जाती है।
जैसलमेर की शाम की बात ही अलग है
शाम को ये टीले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक शानदार पृष्ठभूमि का काम देते हैं। एक अस्थायी मंच पर लोक नर्तक कार्यक्रम करते हैं और कुछ ही मिनटों में सुंदर स्वरों और संगीत का जादू सबको वशीभूत कर लेता है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को यहां प्रदर्शन के लिए चुना जाता है। रेगिस्तान की आत्मा खुले दिल से अतिथियों का स्वागत करती है। व्यावसायिक लंगाओं, मंगनियारों के मोहक लोक संगीत और घेर, धप, छाड़ी, मोरिया, घूमड़ और त्रेहटालू जैसे आकर्षक नृत्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
जब कालेबेलिया नर्तकों के नृत्य की घोषणा होती है तो चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगती है। फुर्तीली युवा लड़कियों द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य बिजली की तरह असर करता है और सबको मंत्रमुग्ध कर देता है। कालेबेलिया नृतकों ने जहां कहीं भी नृत्य प्रदर्शन किया है सबने इसकी खूब सराहना की है। मिस्र के बेले नृतकों की भांति ये संपेरे दिल मोह लेते हैं। इनकी गति, लय और कला कौशल उत्कृष्ट और मोहक होते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
राजस्थान पर्यटन विकास निगम किले के ठीक नीचे स्थानीय पूनम स्टेडियम में बड़े पैमाने पर कुछेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। यहां का वातावरण बहुत ही आकर्षक लगता है और कार्यक्रम देखने के लिए अपार जनसमूह उमड़ पड़ता है। विविध रंगों से सजे ऊंटों की परेड़ देखने लायक होती है। सबसे ज्यादा मजा राजस्थानी पगड़ियों को देखकर आता है जो चमकदार पीले, संतरी, गुलाबी और लाल रंगों की होती हैं और बड़े शानदार ढंग से सिर पर बांधी जाती हैं। काफी तेज नृत्य करने के बावजूद ये नीचे नहीं गिरती हैं। सफेद जैकेट और लंबे घाघरे पहने घेर नृतकों का नृत्य बहुत अच्छा होता है। ऊंटों की दौड़, ऊंटों की कलाबाजियां, ऊंट सवारी प्रतियोगिता, रस्साकशी, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता और सबसे शानदार मूंछ रखने का पुरस्कार ऐसे खेल−तमाशे हैं जो सबको अच्छे लगते हैं।