बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन और कृति सेनन स्टारर फिल्म ‘भेड़िया’ 25 नवंबर 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। पिछले कई दिनों से फिल्म की स्टार कास्ट इसका जबरदस्त प्रमोशन कर रही है। फिल्म के प्रमोशन के लिए वरुण और कृति ने स्टेज से लेकर सिनेमा हॉल की छत तक डांस किया। फिल्म का प्रमोशन काफी अच्छा था, लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट सुस्त नजर आ रही है। अगर आप भी हॉरर-कॉमेडी ‘भेड़िया’ देखने का प्लान कर रहे हैं, तो रिव्यू पढ़ें।
फिल्म की कहानी ‘प्रकृति और प्रगति’ की है, जिसे देखने के बाद आपको तय करना होगा कि आप भी कैसे प्रगति के लिए प्रकृति को हो रहे नुकसान से बचा सकते हैं। फिल्म में एक डायलॉग है, ‘प्रकृति है तो प्रगति है’ जो आज के हालात पर बिल्कुल फिट बैठती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे प्रगति के नाम पर बिना सोचे समझे प्रकृति का दोहन किया जा रहा है। फिल्म की मूल पृष्ठभूमि अरुणाचल प्रदेश के खूबसूरत घने जंगलों की है, जहां वे सड़क बनाने के लिए खेल रहे हैं। फिल्म की शुरुआत अभिनेता शरद केलकर द्वारा जंगल में अपने बच्चे को एक कहानी सुनाने से होती है, जब अचानक वह एक भेड़िये का शिकार बन जाता है।
दूसरी ओर, दिल्ली का भास्कर (वरुण धवन) अमीर, सुपर फास्ट बनने की चाहत में बग्गा (सौरभ शुक्ला) के लिए काम कर रहा है। भास्कर अपने चचेरे भाई जनार्दन (अभिषेक बनर्जी) के साथ एक घर में रहता है। भास्कर और जनार्दन के बीच हुई बातचीत को सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे। भास्कर को बग्गा द्वारा अरुणाचल प्रदेश के जंगलों के माध्यम से एक सड़क बनाने का ठेका दिया गया है। भास्कर, जो जल्दी अमीर बनना चाहता है और दिल्ली के जमुनापार से ग्रेटर कैलाश पहुंचना चाहता है, इस परियोजना को करने के लिए सहमत हो जाता है और अपने चचेरे भाई जनार्दन को अरुणाचल प्रदेश ले जाता है जहां जोमिन (पॉलिन कबाक) और पांडा (दीपक डोबरियाल) की एंट्री होती है और सभी एक साथ काम करना शुरू कर देते हैं।
इस बीच फिल्म में भास्कर और उनके पिता के बीच वीडियो कॉल पर हुई बातचीत आपके चेहरे पर हंसी ला देगी। भास्कर यहां जो सड़क बनाने आया है, उसके लिए उसे गांव वालों को समझाना पड़ता है, लेकिन वे उसकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। इसी बीच होटल लौटते वक्त भास्कर पर एक भेड़िये ने हमला कर दिया। यहीं से असली कहानी शुरू होती है, जिसमें हमले के बाद जोमिन और जनार्दन भास्कर को पशु चिकित्सक अनिका (कृति सेनन) के पास ले जाते हैं।
भेड़िए के हमले के बाद भास्कर (वरुण धवन) बदलने लगता है और पूर्णिमा की रात वह ‘भेड़िया’ बन जाता है, जिसे वह सुबह भूल जाता है। इंटरवल से पहले फिल्म बहुत धीमी है। लेकिन बाद में आपको जनार्दन-भास्कर-जोमिन की केमिस्ट्री पसंद आने लगेगी। इसके साथ ही अभिषेक बनर्जी और दीपक डोबरियाल के संवादों पर हंसी आती है। फिल्म में अचानक से हिमेश रेशमिया का गाना गंभीर जगह पर आपको सुनने को मिलेगा, वहीं गुलजार का गाना ‘चड्डी पन्हेकर फूल खिला’ भी सुनने को मिलेगा. जिसे देखकर आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी।
फिल्म में वरुण के सामने कृति सेनन का किरदार फीका पड़ गया। भास्कर सोचता है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, अब उसकी सोच कैसे बदलेगी? क्या भास्कर कभी सामान्य व्यक्ति बन पाएगा? अनिका का क्या होगा? यह आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। फिल्म का कनेक्शन ‘स्त्री’ से भी जोड़ने की कोशिश की गई है, जिसे देखकर लगता है कि इसका अगला पार्ट भी आ सकता है।
फिल्म के कुछ डायलॉग्स जैसे- ‘लोग नेचर चाहते हैं नेटफ्लिक्स नहीं’, ‘जंगल में टाइगर नहीं टाइगर श्रॉफ चाहिए’ आपको हंसाएंगे और यह भी सोचने पर मजबूर कर देंगे कि हम शायद प्रकृति के साथ खेल (नष्ट) कर रहे हैं।