रुद्रप्रयाग। रांसी-मनणी-केदारनाथ पैदल ट्रेक पर महापंथ से ट्रैकर आलोक विश्वास (33) का शव वायुसेना के हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर चारधाम हेलीपैड गुप्तकाशी लाया गया है। आलोक के परिजन बृहस्पतिवार तक पहुंच जाएंगे। ट्रैकर की बीते आठ अक्तूबर को अत्यधिक थकान व ठंड के कारण मौत हो गई थी।
बुधवार को सुबह करीब सात बजे जोशीमठ से भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टर चारधाम हेलीपैड गुप्तकाशी पहुंचे। यहां पर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने टीम को ट्रेक के हालातों की जानकारी दी। इसके बाद दो हेलीकॉप्टर में रेस्क्यू टीम ट्रेक के लिए रवाना हुई। मौसम साफ होने के कारण हेलीकॉप्टर को लैंड करने में दिक्कत नहीं हुई और टीम महापंथ ट्रेक से शव को लेकर करीब 9:30 बजे चारधाम हेलीपैड लौट आए। हेलीपैड से शव को जिला चिकित्सालय लाया गया।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि बीते मंगलवार को सरसावा, उत्तर प्रदेश से भारतीय सेना के दो हेलिकॉप्टर जोशीमठ पहुंच गए थे। रेस्क्यू टीम में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर टीडी शर्मा, विंग कमांडर दीपिका राव, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट हिमालय सिंह, स्क्वॉडन लीडर जे. कौर, एएम शाह, एसके सिंह, अंकित यादव, एसडीआरएफ के रवि चौहान, वीरेंद्र काला, दीपक पंत, महेश, रमेश रावत, प्रवीण राठी, प्रवीण चौहान, योगेश रावत, डीडीआरएफ के सुनील सिंह राणा, राहुल कुमार, नरेंद्र सिंह, अनिल सेमवाल और गजपाल आदि शामिल थे। इधर, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने रेस्क्यू दल को बधाई दी है।
आलोक विश्वास निवासी सगूना नाडिया, पश्चिम बंगाल अपने अन्य नौ साथियों के साथ बीते दो अक्तूबर को रांसी-मनणी-केदारनाथ ट्रेकिंग रूट पर रांसी से रवाना हुआ था। अत्यधिक थकान के कारण वह अपने अन्य साथी विक्रम मजूमदार के साथ महापंथ में ही रुक गया था जबकि अन्य आठ लोग उसी रात केदारनाथ पहुंच गए थे।
नौ अक्तूबर को जिला आपदा परिचालन केंद्र रुद्रप्रयाग को सूचना मिली कि रांसी-मनणी-केदारनाथ ट्रेकिंग रूट पर महापंथ ग्लेशियर में दो ट्रेकर फंसे हैं। इसके बाद जिला आपदा प्रबंधन विभाग के सहयोग से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और डीडीआरएफ के जवान स्थानीय पोर्टर व गाइड के साथ मौके के लिए रवाना हुए लेकिन खराब मौसम के कारण रेस्क्यू नहीं हो पाया।
10 अक्तूबर को रेस्क्यू दल मौके पर पहुंचा तो पाया कि ट्रेकर आलोक की मौत हो चुकी है जबकि विक्रम मजूमदार का स्वास्थ्य भी खराब है। टीम ने आलोक के शव को वहीं प्लास्टिक से ढक दिया और विक्रम को केदारनाथ पहुंचाया और विवेकानंद चिकित्सालय में भर्ती कराया।