देहरादून। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फंसी कंपनी सोशल म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड की आर्थिक अपराध शाखा ने जांच शुरू कर दी है। जल्द ही कंपनी के डायरेक्टरों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि कंपनी में आरडी-एफडी के नाम पर फर्जी तरीके से खाते खोलने के लिए लोगों के वोटर आईडी कार्ड का इस्तेमाल किया गया। आरोप है कि कुछ खाते खोलने के लिए गैर कानूनी तरीके से आधार कार्ड डाउनलोड किए गए।
ऐसे हजारों खातों की जांच आर्थिक अपराध शाखा को करनी है। हालांकि, अभी ये सिर्फ आरोप हैं तो पुलिस के आला अधिकारी भी इस मामले में जांच के बाद ही कुछ कहने की बात कर रहे हैं। मामला 180 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा बताया जा रहा है। सबसे पहले इस प्रकरण को खानपुर विधायक उमेश कुमार ने उठाया था।
उनका कहना है कि उन्होंने इस मामले की अपने स्तर से जांच कराई थी। आरोप है कि काले धन को वैध करने के लिए कई लोगों ने इस कंपनी का सहारा लिया। इस कंपनी में पूर्व सीएम के एक सलाहकार की पत्नी निदेशक थीं तो आसानी से सब काम हो गया। आरोपियों ने लोगों के फर्जी तरीके से वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड आदि लिए और इनके माध्यम से खाते खोले। किसी के नाम पर 10 हजार की तो किसी के 20 और 50 हजार से एक लाख रुपये तक की एफडी (फिक्स्ड डिपोजिट) कराई गई।
इन वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड के पतों पर तस्दीक की गई तो पता चला कि कई लोगों की पहले ही मृत्यु हो चुकी है तो हजारों को इसकी जानकारी ही नहीं है। आरोप है कि सात से आठ साल की उम्र वाले बच्चों की भी एफडी खोली गईं थीं। इन सब खातों की जानकारी विधायक ने सरकार को भी दी थी।
अब इस मामले की जांच सरकार के निर्देश पर सीबीसीआईडी के अधीन आर्थिक अपराध शाखा को दे दी गई है। गत छह अक्तूबर को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया था। इस क्रम में शाखा ने जांच भी शुरू कर दी है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जल्द आर्थिक अपराध शाखा में मौजूदा और पूर्व डायरेक्टरों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। इसके साथ ही लोगों के पतों को तस्दीक भी किया जा रहा है।
शासन के निर्देश पर जांच सीबीसीआईडी के अधीन आर्थिक अपराध शाखा को दी गई है। जांच में जो भी तथ्य आएंगे उसके आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी। यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो इसमें मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अभी इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।