देहरादून। उत्तराखंड से मानसून की विदाई हो चुकी है। 19 अक्टूबर तक मैदान से पहाड़ तक वर्षा की संभावना नहीं है। जबकि 20 अक्टूबर को प्रदेश में कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार प्रदेश में 19 अक्टूबर तक मौसम शुष्क रहने व अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।
रविवार को मौसम साफ बना रहा। वहीं शनिवार को चारधाम समेत गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में अधिकांश क्षेत्रों में दिनभर धूप खिली रही। बदरीनाथ व केदरनाथ की चोटियों में दोपहर बाद तीन बजे हल्के बादल छाए रहे, लेकिन शाम को एक बार फिर धूप खिली, जिससे तीर्थ यात्रियों ने ठंड से राहत की सांस ली।
चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी व देहरादून में धूप खिली रहने से दिन के अधिकतम तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई। देहरादून का अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम 30.6 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 17.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
मसूरी का अधिकतम तापमान 22.4 व न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार रविवार को आमतौर पर प्रदेश का मौसम शुष्क रहेगा। 19 अक्टूबर तक मौसम साफ बने रहने की संभावना है। मानसून की विदाई के बाद वर्षा की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर जजरेड की पहाड़ी का भूस्खलन हादसे की वजह बन रहा है। शनिवार सुबह जजरेड पहाड़ी से पत्थर गिरने पर गाड़ी सवार पांच शिक्षक बाल बाल बचे। पत्थर से गाड़ी का शीशा टूटने पर सभी शिक्षक डर गए। शनिवार सुबह देहरादून से स्कूल के लिए शिक्षक बोलेरो वाहन से ड्यूटी पर आ रहे थे। जैसे ही गाड़ी सुबह आठ बजे के करीब जजरेड पहाड़ी से होकर गुजर रही थी कि पहाड़ी से अचानक पत्थर गिरने लगे।
चालक ने सूझबूझ से गाड़ी को पत्थर से बचाया, लेकिन एक पत्थर के लगने से बोलेरो का आगे का शीशा चटक गया। पत्थरों की बौछार देखकर वाहन सवार शिक्षकों के पसीने छूट गए। शिक्षक देहरादून से मलेथा के लिए जा रहे थे। अचानक जजरेड की ऊंची पहाड़ी से पत्थर गिरा और गाड़ी में लगा। पत्थर लगने से चालक की सूझबूझ से अनियंत्रित हुई गाड़ी संभल गई।
गौर हो कि जजरेड की पहाड़ी से पत्थर गिरने से अब तक एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कई व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और कई घायल हो चुके। कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर जजरेड क्षेत्रवासियों के लिए नासूर बना हुआ है। जजरेड पहाड़ी के करीब ढाई सौ मीटर हिस्से को वाहन चालकों को घबराहट के बीच पार करना पड़ता है।
पिछले पांच छह साल से जजरेड पहाड़ी पर पुल निर्माण की बात लोनिवि की ओर से कही जा रही है, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। भूस्खलन रोकने को लोनिवि अभी तक कंक्रीट की दीवार व मलबा हटाने पर करोड़ों रुपये खर्च चुका है, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है।