देखा जाए तो आजादी की सालगिरह के ठीक एक दिन पहले देश के बंटवारे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दर्द छलक उठा। उन्होंने दो टूक शब्दों में अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और लाखों लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी।
भले ही 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ, लेकिन इससे पहले 14 अगस्त 1947 को विभाजित भारत से पाकिस्तान का जन्म हुआ और इसी दिन पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान के मुस्लिम बहुल इलाकों में भयानक दंगे हुए, जहां हिंदुओं का कत्लेआम हुआ। यही वजह है कि रविवार 15 अगस्त 2021 को भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बताया कि आज से प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने आगे लिखा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।
बता दें कि अंग्रेजों द्वारा भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय 14 अगस्त 1947 को ही बंगाल, बिहार और पंजाब में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे। जिनमें तकरीबन 2.5 लाख से 10 लाख लोग मारे गए थे। खास बात यह कि इन सांप्रदायिक दंगो को रोकने के लिए उस वक्त महात्मा गांधी बंगाल के नोआखली में अनशन पर बैठ गए थे और स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे। जिसके चलते वह समारोह भी फीका लगने लगा था।
उल्लेखनीय है कि भारत 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, वहीं पाकिस्तान 14 अगस्त को अपनी आजादी का दिवस मनाता है। दरअसल, 14 अगस्त को ही गुलाम भारत के दो टुकड़े हुए थे और एक नए मुल्क पाकिस्तान का जन्म हुआ था। इसी के साथ भारत को भी अंग्रेजों द्वारा आजाद घोषित कर दिया गया था। पाकिस्तान को 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में तराशा गया था। जिसके चलते न केवल लाखों लोग विस्थापित हुए थे बल्कि बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के कारण कई लाख लोगों की जान चली गई थी।