
देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती पर आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की 25 वर्षों की विकास यात्रा को नमन करते हुए उत्तराखंड को “विश्व की आध्यात्मिक राजधानी” बनाने का आह्वान किया। रविवार को देहरादून स्थित एफआरआई परिसर में प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की असल पहचान उसकी आध्यात्मिक शक्ति है। अगर यह राज्य ठान ले, तो आने वाले कुछ ही वर्षों में अपने योग, ध्यान और आश्रमों के जरिये पूरी दुनिया को आकर्षित करने में सफल हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने 28 मिनट के अपने भाषण में कहा कि जब उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ था, तब संसाधन सीमित थे और बजट छोटा था। ज्यादातर जरूरतें केंद्र की सहायता से पूरी होती थीं। लेकिन अब उत्तराखंड ने विकास की दिशा में लंबी छलांग लगाई है। राज्य का बजट चार हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ से अधिक हो चुका है। सड़क, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह रजत जयंती केवल जश्न का नहीं, बल्कि नए संकल्प का अवसर है। उत्तराखंड को अगले 25 वर्षों का रोडमैप तय करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि “जहां चाह, वहां राह” के मंत्र को अपनाकर राज्य अपने सामर्थ्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। उन्होंने “वेड इन इंडिया” मुहिम के तहत उत्तराखंड को फिल्म और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच मिल रहा है। बेडू फल और बद्री गाय के घी को जीआई टैग मिलने से राज्य की विशिष्ट पहचान बनी है। उन्होंने “वोकल फॉर लोकल” के जरिये विकसित भारत के संकल्प को साकार करने पर जोर दिया।
संस्कृति और पर्यटन को एक सूत्र में पिरोने के लिए प्रधानमंत्री ने ‘एक जिला, एक मेला’ अभियान शुरू करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हरेला, फूलदेई, भिंटोली जैसे पारंपरिक त्योहारों और नंदा देवी, जौलजीवी, देवीधुरा, श्रावणी और बटर फेस्टिवल जैसे जीवंत मेलों से पर्यटकों को जोड़कर राज्य को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी और होमस्टे को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने सीमांत क्षेत्रों में वाइब्रेंट विलेज को छोटे-छोटे पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलें।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “जब पर्यटक यहां आएंगे, स्थानीय घरों में रहेंगे, झंगोरे की खीर, रोट, अरसा और चुटकानी का स्वाद लेंगे, तो वे बार-बार यहां लौटना चाहेंगे।” उन्होंने कहा कि कीवी, हर्बल और एरोमा की खेती भविष्य की कृषि है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
पीएम मोदी ने उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन की पहल की सराहना की और कहा कि ईको व एडवेंचर टूरिज्म राज्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। उन्होंने बताया कि आदि कैलाश यात्रा में जहां तीन साल पहले केवल दो हजार पर्यटक आते थे, वहीं अब यह संख्या तीस हजार को पार कर चुकी है। इसी तरह बाबा केदारनाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी अब 17 लाख तक पहुंच गई है।
प्रधानमंत्री ने अंत में कहा कि जब भारत अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब उत्तराखंड को यह तय करना होगा कि वह उस समय किस ऊंचाई पर होगा। उन्होंने कहा कि “अब इंतजार नहीं, आगे बढ़ने का समय है।” केंद्र सरकार इस यात्रा में उत्तराखंड के साथ पूरी मजबूती से खड़ी रहेगी।




