
हल्द्वानी। कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। करोड़ों रुपये खर्च कर लगाए गए ये सिग्नल अब शोपीस बनकर रह गए हैं। शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे ट्रैफिक लाइट वर्षों से बंद पड़े हैं, जिससे न केवल यातायात अव्यवस्थित है बल्कि सरकारी धन की भी भारी बर्बादी हो रही है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लेगा और ठोस कदम उठाएगा।
हल्द्वानी में कुमाऊं आयुक्त, आईजी पुलिस, जिलाधिकारी सहित मंत्री, सांसद और विधायक तक रहते हैं, लेकिन शहर की ट्रैफिक व्यवस्था उनकी नज़रों से ओझल लगती है। रोजाना मुख्यमंत्री और मंत्रियों के काफिले इन्हीं सड़कों से गुजरते हैं, फिर भी ट्रैफिक सिग्नलों की स्थिति सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। शहर की व्यवस्था आज भी पूरी तरह यातायात पुलिस और होमगार्ड के इशारों पर निर्भर है।
वर्ष 2020-21 में 90 लाख रुपये खर्च कर आईटीआई तिराहा, टीपीनगर, सेंट्रल हॉस्पिटल, कुसुमखेड़ा, पीलीकोठी, लालडांठ, नरीमन चौराहा और डिग्री कॉलेज के पास सहित 13 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे। इसके संचालन की जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को दी गई थी। अफसरों ने करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन आज अधिकांश जगहों पर सिग्नल काम नहीं कर रहे। सड़क चौड़ीकरण के दौरान कई लाइटें हटाई गईं और दोबारा नहीं लगाई गईं।
मुखानी चौराहे पर वर्ष 2014-15 में ट्रायल योजना के तहत ट्रैफिक लाइटें लगाई गई थीं, लेकिन कुछ ही दिनों में वे गलत सिग्नल देने लगीं जिससे जाम की स्थिति बन गई। लोगों के विरोध के बाद इन्हें बंद कर दिया गया। तब से लेकर अब तक यह स्थिति जस की तस बनी हुई है। कई जगह तो पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं रहते, जिससे लोगों को रोजाना जाम से जूझना पड़ता है।
लाइटों की खराबी ने भ्रम की स्थिति भी पैदा कर दी है। कई बार लाल या हरी बत्तियां अनियमित रूप से जलती-बुझती रहती हैं, जिससे बाहरी राज्यों से आने वाले वाहन चालकों को दिक्कत होती है। वे सिग्नल देखकर गाड़ी रोक देते हैं जबकि दूसरे वाहन बिना रुके निकल जाते हैं। यह स्थिति दुर्घटनाओं की आशंका को भी बढ़ा रही है।
शहर में सिग्नल लगाने के दौरान दूरी और यातायात प्रवाह का भी ध्यान नहीं रखा गया। कम दूरी पर लगाए गए सिग्नलों ने जाम को और बढ़ा दिया। लोगों के विरोध के बाद इन्हें भी हटाना पड़ा। अब हालत यह है कि हल्द्वानी का कोई भी प्रमुख चौराहा व्यवस्थित सिग्नल प्रणाली से संचालित नहीं हो रहा।
स्थानीय निवासी गोपाल भट्ट का कहना है कि “पिछले वर्षों में ट्रैफिक लाइट के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। यह सरकारी धन का सीधा दुरुपयोग है।” वहीं गौरव जोशी का कहना है कि “हल्द्वानी महानगर के रूप में विकसित हो चुका है, ऐसे में ट्रैफिक लाइटें आवश्यक हैं ताकि यातायात व्यवस्था सुधरे और जनता को राहत मिले।”
लोनिवि इलेक्ट्रिक एवं मैकेनिकल खंड के अधीक्षण अभियंता निशांत नेगी का कहना है कि “विभाग ने केवल कार्यदायी संस्था के रूप में लाइटें लगाई थीं, बाद में उन्हें ट्रैफिक पुलिस को सौंप दिया गया। अगर पुलिस और प्रशासन मरम्मत या पुनर्स्थापना की मांग करेगा, तो विभाग कार्रवाई करेगा।”
एसपी ट्रैफिक जगदीश चंद्र ने बताया कि “शहर में नई ट्रैफिक लाइटें लगाने की योजना बन चुकी है और कार्यदायी संस्था ने सर्वे पूरा कर लिया है। कुछ चौराहों के चौड़ीकरण के बाद इन्हें भी शामिल किया गया है। इसके लिए एक कंट्रोल रूम तहसील परिसर में स्थापित करने की योजना है, जहां से सभी लाइटों का संचालन होगा।”
डीएम नैनीताल ललित मोहन रयाल ने कहा कि “पुरानी लाइटों को बदला जाएगा। सड़क और चौराहों के चौड़ीकरण के चलते यह काम रुका हुआ था। जैसे ही कार्य पूरा होगा, नई ट्रैफिक लाइटें लगाई जाएंगी। इससे यातायात व्यवस्था में सुधार होगा और जनता को राहत मिलेगी।”




