
हल्द्वानी | नैनीताल जिले में पुलिस प्रशासन की कमान संभाल रहे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रहलाद नारायण मीणा का तबादला कर दिया गया है। उन्हें अब सतर्कता अधिष्ठान में पुलिस अधीक्षक के पद पर भेजा गया है। लगभग दो वर्षों से अधिक समय तक नैनीताल जिले में अपनी सेवाएं देने वाले मीणा का कार्यकाल विवादों और आलोचनाओं से भरा रहा। कई बड़े मामलों में पुलिस की भूमिका और कार्यप्रणाली पर सवाल उठे, जिससे जिले की कानून व्यवस्था की छवि लगातार धूमिल होती रही।
मीणा का कार्यकाल उस समय चर्चा में आया जब फरवरी 2024 में हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुई हिंसा ने पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश का ध्यान इस ओर खींच लिया था। अवैध निर्माणों को लेकर शुरू हुए प्रशासनिक अभियान के बाद अचानक भड़की हिंसा ने शहर को दहला दिया। भीड़ के हिंसक हो जाने पर पुलिस को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ीं, जिसमें कई लोगों की जान गई। इस दौरान हल्द्वानी में कई दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा और हालात सामान्य करने में लंबा समय लगा। इस कांड की जांच और पुलिस की विवेचना को लेकर कई बार सवाल उठे। हाल ही में जब कुछ आरोपियों को अदालत से जमानत मिली, तो पुलिस की जांच प्रक्रिया को लेकर भी आलोचना हुई। इस घटना ने एसएसपी मीणा के पूरे कार्यकाल पर गहरा साया डाल दिया।
इसके बाद भी नैनीताल जिले में शांति पूरी तरह लौट नहीं पाई। मई 2025 में जिले में एक मासूम बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया और पुलिस पर कार्रवाई में देरी के आरोप लगे। इसी तरह अगस्त 2025 में काठगोदाम क्षेत्र में एक छोटे बच्चे की गला रेतकर हत्या कर दी गई, जिससे जनाक्रोश चरम पर पहुंच गया। लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ खुला प्रदर्शन किया और दोषियों को जल्द पकड़ने की मांग की। इन घटनाओं ने जनता के मन में पुलिस के प्रति अविश्वास की भावना को और गहरा कर दिया।
मीणा के कार्यकाल में सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान हुआ अपहरण कांड रहा। चुनाव से ठीक पहले कई जिला पंचायत सदस्यों के सरेआम अपहरण ने न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति को हिला दिया था। विपक्षी दल कांग्रेस ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला और एसएसपी मीणा पर कार्रवाई की मांग की। यह मामला विधानसभा से लेकर हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां न्यायालय ने एसएसपी को फटकार लगाते हुए कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति पर तल्ख टिप्पणी की थी। इस दौरान नैनीताल पुलिस को जनता और मीडिया दोनों के बीच भारी आलोचना झेलनी पड़ी।
इन लगातार विवादों ने नैनीताल जिले की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया। एक समय जो जिला अपनी शांति, पर्यटन और अनुशासनप्रिय पुलिस व्यवस्था के लिए जाना जाता था, वह अपराध, दंगे और अपहरण जैसी घटनाओं की वजह से सुर्खियों में आ गया। कहा जा रहा है कि मीणा का तबादला इसी पृष्ठभूमि में किया गया है, ताकि जिले में नई ऊर्जा और नई दिशा लाई जा सके।
अब जिले की कमान 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मंजूनाथ टीसी को सौंपी गई है। मंजूनाथ इससे पहले अभिसूचना मुख्यालय में एसपी के पद पर तैनात थे और अल्मोड़ा व ऊधमसिंह नगर में एसएसपी के रूप में काम कर चुके हैं। अपने सधे हुए नेतृत्व और शांत स्वभाव के कारण मंजूनाथ टीसी को एक कुशल प्रशासक और जमीन से जुड़े अधिकारी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हरिद्वार में एसपी ट्रैफिक और एसपी क्राइम रहते हुए कई उल्लेखनीय सुधार किए थे और उनके कार्यकाल में अपराध नियंत्रण के साथ-साथ पुलिस-जन संवाद को भी मजबूती मिली थी।
नैनीताल जैसे संवेदनशील जिले में उनकी तैनाती को एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यहां ट्रैफिक जाम, स्मैक और चरस तस्करी, बढ़ती चोरी और हिट एंड रन जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। साथ ही जनता का पुलिस पर से भरोसा भी कमजोर हुआ है। मंजूनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वे पुलिस की साख को फिर से बहाल करें, अपराध पर अंकुश लगाएं और शहर की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाएं।
जिले के जानकारों का मानना है कि मीणा का कार्यकाल नैनीताल पुलिस इतिहास में एक ऐसे दौर के रूप में याद किया जाएगा जिसमें जिले ने कई गंभीर घटनाओं का सामना किया और पुलिस को लगातार जनता के सवालों के घेरे में रहना पड़ा। अब सभी की निगाहें नए एसएसपी मंजूनाथ टीसी पर टिकी हैं, जिनसे उम्मीद है कि वे अपने अनुभव और सधे हुए नेतृत्व से जिले में फिर से विश्वास और शांति का वातावरण स्थापित करेंगे।




