
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षा में नकल प्रकरण की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। मुख्य आरोपी खालिद मलिक पिछले दो वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं में बिना तैयारी शामिल हो रहा था और सफलता के लिए नकल या सांठगांठ पर ही निर्भर था। विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने खालिद के हरिद्वार स्थित घर की तलाशी ली, जहां से न तो पढ़ाई से संबंधित कोई किताब मिली और न ही कॉपियां। जांच में सामने आया कि वर्ष 2024 से 2025 के बीच उसने नौ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन किया, लेकिन पांच में शामिल ही नहीं हुआ और जिनमें शामिल हुआ, उनमें उसके अंक बेहद कम रहे।
एसआईटी के मुताबिक, यह साफ है कि खालिद प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने के लिए लंबे समय से अवैध तरीकों पर भरोसा कर रहा था। जांच टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि उसने कब-कब नकल के प्रयास किए और किन-किन लोगों के साथ उसकी सांठगांठ रही। इस सिलसिले में उसे कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की जा सकती है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खालिद ने कुछ ऐसी परीक्षाओं के लिए भी आवेदन किया था, जिनकी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता उसके पास नहीं थी। यह तथ्य जांच को और गहरा बना रहा है कि आखिरकार वह ऐसी परीक्षाओं के लिए आवेदन क्यों कर रहा था, जिनमें वह अयोग्य था और जिनकी तैयारी भी उसने नहीं की थी। इससे साफ है कि उसकी मंशा केवल पेपर लीक और नकल के जरिए सफलता पाने की थी।
इस प्रकरण में खालिद के मोबाइल फोन भी अहम सबूत बन सकते हैं। पुलिस के अनुसार, खालिद परीक्षा केंद्र में एक मोबाइल लेकर गया था जिसे उसने फॉर्मेट करने के बाद ट्रेन के कूड़ेदान में छोड़ दिया। दूसरा मोबाइल पुलिस ने जब्त किया है, जिससे उसने अपनी बहन साबिया को प्रश्नपत्र के तीन पन्ने भेजे थे। हालांकि इस मोबाइल को भी फॉर्मेट किया गया था, लेकिन पुलिस विशेषज्ञ इसकी डाटा रिकवरी की कोशिश कर रहे हैं। अगर इसमें सफलता मिलती है तो खालिद के पिछले दो वर्षों के संपर्क और नकल नेटवर्क की गुत्थियां भी सुलझ सकती हैं।
एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि अब तक सामने आए तथ्यों ने साफ कर दिया है कि खालिद प्रतियोगी परीक्षाओं की सफलता के लिए गंभीर नहीं था और उसकी रणनीति केवल गलत तरीकों पर आधारित थी। एसआईटी अब इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए जांच का दायरा और बढ़ाएगी।