
कानपुर | उत्तर प्रदेश के कारोबारियों के लिए चिंता की एक और बड़ी वजह सामने आ रही है। कानपुर, झांसी, लखनऊ जैसे शहरों में जीएसटी विभाग द्वारा की जा रही जब्ती कार्रवाइयों को लेकर व्यापारी वर्ग में गहरी नाराजगी है। आरोप है कि विभाग बिना पूर्व सूचना या नोटिस दिए बैंक खातों को सीज कर रहा है, दुकानों से माल जब्त कर रहा है और यहां तक कि निजी संपत्तियों – जैसे स्कूटी और फर्नीचर तक – को उठा ले जा रहा है।
कानपुर: कपड़ा व्यापारी की दुकान से कपड़े की गांठें जब्त
कानपुर के प्रतिष्ठित कपड़ा कारोबारी संतोष गुप्ता पर 2019-20 के लिए ₹97,000 की बकाया GST राशि का दावा किया गया। कारोबारी की मानें तो उन्होंने यह राशि बैंक से डीडी के रूप में पहले ही जमा कर दी थी, फिर भी विभाग ने उनकी दुकान पर छापा मारकर पांच गांठें कपड़े की जब्त कर लीं। सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि न कोई नोटिस जारी किया गया, न ही अपना पक्ष रखने का मौका मिला।
किदवई नगर: टाइल्स और परफ्यूम व्यापारी भी चपेट में
इसी तरह, किदवई नगर के एक टाइल्स कारोबारी पर 2017-18 के लिए ₹9.82 लाख की वसूली निकाली गई। वहीं, एक परफ्यूम व्यवसायी पर ₹9.72 लाख और कत्था व्यापारी पर ₹35 हजार की बकाया बताई गई। ये सभी मामले उस स्थिति में सामने आए हैं जब व्यापारियों ने प्री-डिपॉजिट की शर्तें पूरी कर रखी थीं।
GST कानून के अनुसार, यदि विवाद अधिकरण के समक्ष लंबित है और कारोबारी 10% विवादित धनराशि का प्री-डिपॉजिट कर चुका है, तो उस पर कोई वसूली नहीं होनी चाहिए। बावजूद इसके, विभाग धारा 79 के तहत डीआरसी-16 नोटिस जारी कर सीधे कार्रवाई कर रहा है।
झांसी में स्कूटी और सोफा सेट भी जब्त
केवल कानपुर ही नहीं, झांसी में भी GST विभाग की सख्ती का उदाहरण देखने को मिला। महज ₹5,000 की बकाया वसूली के मामले में एक व्यापारी की स्कूटी जब्त कर ली गई, जबकि ₹10,000 के विवाद में सोफा सेट उठा लिया गया।
कारोबारियों की व्यथा: “बिना सुने ही दोषी ठहराया जा रहा है”
संतोष कुमार गुप्ता, मर्चेंट चैंबर ऑफ यूपी की GST कमेटी के चेयरमैन का कहना है –
“विभाग बिना नोटिस दिए, सीधे बैंक खाता, क्रेडिट लेजर और दुकान का स्टॉक जब्त कर रहा है। यह प्रक्रिया न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि व्यापार की मूलभूत स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है।”
उमंग अग्रवाल, महासचिव, फीटा (Federation of Indian Textile Associations) कहते हैं –
“कई वर्षों पुराने रिकॉर्ड यदि व्यापारी के पास उपलब्ध नहीं हैं, तो विभाग उसे बहाना बनाकर सीधी कार्रवाई कर रहा है, जबकि उसके पास सभी भुगतान के प्रमाण पहले से उपलब्ध होते हैं।”
विभाग की सफाई: “सभी को नोटिस दिए जा रहे हैं”
राज्यकर विभाग, कानपुर द्वितीय के अपर आयुक्त ग्रेड-1 आरएस विद्यार्थी का बयान आया है –
“शासन के निर्देश पर ही डीआरसी नोटिस जारी किए जा रहे हैं। सभी व्यापारियों को पहले नोटिस दिया जाता है। अगर किसी को समस्या है तो वह सामने आकर बात करें, हम उसका समाधान जरूर करेंगे।”
GST अधिकरण की अनुपलब्धता बनी बड़ी समस्या
GST विवादों के निपटारे के लिए GST Appellate Tribunal (GSTAT) अब तक पूरी तरह से कार्यशील नहीं हो पाया है। कई मामलों में व्यापारी पहली अपील हारने के बाद आगे बढ़ने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि ट्रिब्यूनल की प्रक्रिया लंबित है। इसके चलते तीन माह की वैधानिक सीमा भी समाप्त हो रही है और व्यापारी विभाग की मनमानी का शिकार हो रहे हैं।