
गोपेश्वर (चमोली)। प्रत्येक 12 वर्ष में होने वाला पुष्कर कुंभ देश के प्रथम गांव माणा में 14 से 25 मई तक होगा। सरस्वती और अलकनंदा के संगम पर पुष्कर कुंभ इस वर्ष भव्य रूप से मनाया जाएगा। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें शामिल होने के लिए दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से करीब 1.57 लाख श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं। इस धार्मिक आयोजन में देश के पांच राज्य तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, केरल और कर्नाटक के श्रद्धालु शामिल होंगे। अनुष्ठान की तैयारियों को लेकर माणा गांव के ग्रामीण भी पैतृक गांव में लौटने लगे हैं।
बदरीनाथ धाम से तीन किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव में सरस्वती नदी भूमिगत होकर बहती है। कुछ दूरी पर केशव प्रयाग में सरस्वती नदी और अलकनंदा का संगम है। सरस्वती नदी का उद्गम हिमालय से होता है। दक्षिण भारत के श्रद्धालु सदियों से प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाले पुष्कर कुंभ के दौरान केशव प्रयाग में स्नान और पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं। पहले कुछ ही श्रद्धालु यहां पहुंचते थे लेकिन वर्ष 2013 से श्रद्धालु यहां जत्थे के साथ पहुंच रहे हैं।
इस वर्ष फिर माणा गांव में पुष्कर कुंभ का आयोजन प्रस्तावित है। इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। माणा गांव के ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा ने बताया कि पुष्कर कुंभ के आयोजन की तैयारियों के लिए दक्षिण भारत से कई लोग माणा गांव पहुंचने लगे हैं। आयोजन में शामिल होने के लिए अभी तक 1.57 हजार श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं। कहा कि पुष्कर कुंभ का दक्षिण भारत में विशेष महत्व है। श्री त्रिदंडी श्रीमन्नारायण रामानुज चिन्ना जीयर विजयवाड़ा की घोषणा के बाद इस वर्ष पुष्कर कुंभ 14 से 26 मई तक होगा।
माणा गांव के ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा ने बताया कि पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की ओर से माणा गांव में होम स्टे और होटलों में मई माह की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। श्रद्धालुओं की ओर से माणा गांव में भंडारा आयोजन की बुकिंग भी मिल रही है। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा से एक दिन पहले माणा गांव में पुष्कर कुंभ का समापन हो गया था। हालांकि भारी बारिश के बीच ही श्रद्धालु गंतव्य को लौटे थे। ग्राम प्रधान पीतांबर मोल्फा ने बताया कि वर्ष 2013 में एक से 15 जून तक पुष्कर कुंभ हुआ था। तब यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। इस वर्ष कुंभ का आयोजन मई माह में होगा।
बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि दक्षिण भारत की परंपरा के तहत बृहस्पति जब भी राशि परिवर्तित करता है तब कुंभ का आयोजन होता है। प्रतिवर्ष अलग-अगल नदियों में कुंभ का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक 12 वर्षों में बृहस्पति मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो माणा गांव में स्थित सरस्वती नदी के संगम पर पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है। दक्षिण भारत में अधिकांश वैष्णव समुदाय के लोग रहते हैं। वे विष्णु भगवान को मानते हैं। इसी कारण पुष्कर कुंभ का आयोजन बदरीकाश्रम क्षेत्र में होता है।