देहरादून। उत्तराखंड स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी का पुनर्गठन न होने से प्रदेशभर के छह मरीजों का अंग प्रत्यारोपण रुक गया है। इससे मरीजों की परेशानी बढ़ी हुई है। कमेटी की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किया जाता है, इसके बाद ही अंग प्रत्यारोपण हो सकता है। दून मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2018 में गठित उत्तराखंड स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी का इसी वर्ष जुलाई में कार्यकाल खत्म हो चुका है।
इसके बाद विभागीय औपचारिकताएं पूरी न होने से अभी तक कमेटी का पुनर्गठन नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण पूरी तरह से ठप है। अधिकारियों के मुताबिक कमेटी में कुल सात सदस्य होते हैं। इसमें दो सदस्य दून मेडिकल कॉलेज, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य महानिदेशक और दो सदस्य इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के होते हैं। मेडिकल एसोसिएशन के दोनों सदस्यों का पूर्व में कार्यकाल पूरा हो गया था।
इसके बाद कमेटी में एसोसिएशन से जुड़े दो नए सदस्यों को शामिल किया जाना था, लेकिन किसी वजह से अभी तक कमेटी को दो नए सदस्य नहीं मिल पाए हैं। अंग प्रत्यारोपण के लिए अंग देने और ग्रहण करने वाले को उत्तराखंड स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी की ओर से एनओसी लेना अनिवार्य है। इसके लिए कमेटी की ओर से कागजी समीक्षा की जाती है। इसके बाद ही कोई व्यक्ति अंग प्रत्यारोपण करवा सकता है।
अंग प्रत्यारोपण के लिए कमेटी के पास लगातार आवेदन आ रहे हैं। लोग अपने कागज तो जमा करवा रहे हैं, लेकिन उन्हें एनओसी नहीं मिल पा रही है। पूछे जाने पर अधिकारी उन्हें कागजी औपचारिकताएं पूरी न होने की बात कह रहे हैं। कमेटी के पुनर्गठन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। पूर्व में आईएमए के दो सदस्यों कार्यकाल पूरा हो गया था। इसके बाद से कमेटी के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है। संभवत: अगले कुछ ही दिनों में शासन से मंजूरी मिल जाए।