ऊधम सिंह नगर। कंडम हो चुकी बसों से यात्री परिवहन सेवा का संचालन खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन रुद्रपुर डिपो से कंडम हो चुकी रोडवेज बसों में सवारियां ढोई जा रही हैं। मरचूला बस हादसे के बाद भी कंडम बसों से ही परिवहन सेवा संचालित हो रही है।
डिपो को वर्ष 2020 के बाद नई बस नहीं मिली हैं। कार्यशाला से मिली जानकारी के अनुसार डिपो के 32 बसों के बेड़े में शामिल 2016 मॉडल की पांच बस यूके 04 पीए 1098, यूके 04 पीए 1102, यूके 04 पीए 1129, यूके 04 पीए 1130 और यूके 04 पीए 1153 दस लाख किसी से अधिक चल चुकी है। रोडवेज की बसों को दस लाख किमी चलने या दस साल पूरे होने पर कंडम घोषित कर नीलाम करने का नियम है।
वहीं डिपो की पांच बस यूके 04पीए 1090, यूके 04पीए 1092, यूके 04पीए 1158, यूके 04पीए 46 और यूके 07पीए 2858 नौ लाख किमी से अधिक सफर तय कर चुकी हैं। यानी कि कंडम होने की कगार पर हैं। बसों की कमी के कारण नौ और दस लाख किमी से अधिक सफर तय कर चुकी बसों में से दो बस अब भी दिल्ली के लिए संचालित की जाती हैं। शेष आठ बसों को कम दूरी के स्टेशन काशीपुर, खटीमा, शक्तिफार्म, मुरादाबाद, हरिद्वार के लिए संचालित किया जाता है। आए दिन से बसें मरम्मत के लिए कार्यशाला पहुंच रही हैं।
करीब छह महीने पहले डिपो की कंडम हो चुकी दस बसों को नीलाम कर दिया गया था। बसों की नीलामी के बाद भी डिपो को नई बस नहीं मिली। बसों की नीलामी से पहले डिपो के बेड़े में 42 बसें थी। अब 32 ही रह गई। 47 अनुबंधित बसों के सहारे डिपो की व्यवस्था चल रही है।
नई बसों की मांग परिवहन मुख्यालय से की जाती है। भविष्य में बसों की खरीद होने पर डिपो को बस आवंटित होने की उम्मीद है। पुरानी बसों को कम दूरी के लिए संचालित किया जाता है।
-केएस राणा सहायक महाप्रबंधक रोडवेज डिपो