विदिशा। भाजपा के बड़े नेता और मध्य प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री रहे राघवजी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने राघवजी को उनके नौकर के साथ कुकर्म करने के मामले में क्लीन चिट दे दी है। मामले में 11 साल बाद फैसला आया है। इससे पहले मप्र हाईकोर्ट ने भी राघवजी को निर्दोष बताते हुए एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए थे। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने कहा कि आखिरकार सत्य की विजय हुई। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विदिशा शहर के कई समाजसेवियों और वरिष्ठ नागरिकों ने राघवजी के निवास पर पहुंचकर उन्हें शॉल और श्रीफल देकर उनका सम्मान किया।
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए राघवजी पर आरोप लगा था कि उन्होंने अपने नौकर के साथ अप्राकृतिक कृत्य (कुकर्म) किया है। जुलाई 2013 में आरोप लगाने वाले नौकर ने हबीबगंज थाना भोपाल में शिकायत देकर एफआईआर कराई। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद मामले की जांच शुरू की गई। आरोप लगने के बाद राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। 5 जुलाई 2013 को उन्हें भोपाल से पुलिस ने गिरफ्तार किया। लेकिन, करीब दो साल तक पुलिस की ओर से मामले में चालन पेश नहीं किया गया। दिसंबर 2015 में पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद राघवजी की ओर से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एफआईआर खारिज करने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई।
याचिका लंबे समय तक पेडिंग में पड़ी रही। करीब आठ साल बाद याचिका पर सुनवाई हुई। एक ही सुनवाई में हाईकोर्ट में फैसला सुनाया और एफआईआर निरस्त कर दी। 44 पेज के फैसले में हाईकोर्ट में मामले को राजनीति और द्वेषपूर्ण बताते हुए एफआईआर खारिज करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पीड़ित नौकर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पीड़ित ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए होईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। तीसरी सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को क्लीन चिट दे दी।
सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत को लेकर पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने कहा- आखिरकार सत्य की विजय हुई। देर से ही सही, 11 वर्ष बाद मैं बेदाग साबित हुआ। उन्होंने कहा कि मेरे घोर राजनैतिक विरोधियों ने एक षड्यंत्र के तहत मुझे फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन उनके मनसूबों पर पानी फिर गया। सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। मुझे क्लीन चिट दी गई है, मेरे खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की गई।
मुझे षड्यंत्र के तहत यौन शोषण के मामले में फंसाया गया था, जिससे मेरी सामाजिक और 60 साल के राजनीतिक जीवन पर धब्बा लग गया था। मुझे भारत के कानून पर भरोसा था, उस भरोसे की जीत हुई। अगर, इस बीच मेरी मृत्यु हो जाती तो यह कलंक कभी न मिटता। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विदिशा शहर के कई समाजसेवी और वरिष्ठ नागरिक राघवजी के निवास पर उनसे मिलने पहुंचे। उन्होंने शॉल और श्रीफल देकर राघवजी का सम्मान किया। राघवजी के परिवार ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर इस फैसले पर खुशी जाहिर की।