देहरादून। राज्य में बिजली महंगी होनी तय है लेकिन दामों में कितनी बढ़ोतरी होगी, इस पर आज मंगलवार को निर्णय होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग इसकी जनसुनवाई करने जा रहा है। यूजेवीएनएल ने पावर डेवलपमेंट फंड के एवज में 2500 करोड़ की मांग की है।
दरअसल, सरकार ने यूजेवीएनएल को जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए पावर डेवलपमेंट फंड दिया था। यूजेवीएनएल ने यूपीसीएल से मनेरी भारी-2 प्रोजेक्ट से इस फंड की वसूली की मांग नियामक आयोग से की थी। नियामक आयोग ने यूजेवीएनएल की याचिका खारिज कर दी थी।
इसके विरोध में यूजेवीएनएल प्रबंधन ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधिकरण ने यूजेवीएनएल के हक में फैसला देते हुए कहा था कि नियामक आयोग इस फंड की व्यवस्था कराए। 2008 में मनेरी भाली-2 शुरू हुई थी। यूजेवीएनएल की मांग है कि मूल रिटर्न व इक्विटी 850 करोड़ पर ब्याज समेत 2500 करोड़ की जरूरत है। नियामक आयोग इसकी मंगलवार को जनसुनवाई करेगा।
सुनवाई के बाद एक तो यह तय होगा कि पावर डेवलपमेंट फंड की मूल राशि 850 करोड़ उपभोक्ताओं से वसूले जाएंगे या 2500 करोड़। दूसरा नियामक आयोग यह भी तय करेगा कि यह राशि किस तरह से वसूल की जाएगी। किश्तों में या फिर एकमुश्त। लेकिन माना जा रहा है कि अगर 2500 करोड़ की वसूली हुई तो उपभोक्ताओं की बिजली सीधे 25 प्रतिशत महंगी हो जाएगी। यूजेवीएनएल, यूपीसीएल से यह रकम वसूल करेगा, जिसकी वसूल यूपीसीएल उपभोक्ताओं से करेगा।
यूजेवीएनएल की मनेरी भारी-2 परियोजना की लागत करीब 20 करोड़ रुपये बढ़ गई थी। 2015 में यूजेवीएनएल ने इसके समायोजन के लिए नियामक आयोग में याचिका दायर की थी। आयोग ने पाया था कि यह लागत यूजेवीएनएल की सुस्ती की वजह से बढ़ी है।
यूजेवीएनएल इस आदेश के खिलाफ एपीटीईएल गया था। न्यायाधिकरण ने नियामक आयोग को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा था। आयोग ने पुनर्विचार के लिए सुनवाई करते हुए पाया कि यूजेवीएनएल ने 30 मार्च 2015 को पत्र में जो तथ्य दिए थे, कमोबेश वैसे ही तथ्य 25 सितंबर के ताजा पत्र में भी दिए हैं। फिलहाल आयोग अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।