पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बुधवार रात और गुरुवार को बारिश मुसीबत बनकर बरसी। हिमाचल में सात जगहों शिमला जिले के गांव गानवी व समेज, कुल्लू जिले के गांव मलाणा व निरमंड, मंडी जिले के गांव राजबन, किन्नौर जिले में सोलारिंग खड्ड व चंबा जिले के रूपणी में बादल फटने के कारण आई बाढ़ व भूस्खलन से 50 लोग लापता हो गए। इसमें शिमला जिले के समेज के 33, कुल्लू जिले के मलाणा व निरमंड के 10 व मंडी जिले के राजबन के सात लोग शामिल हैं। शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने भारतीय सेना की सहायता मांगी। लगभग 125 कर्मियों की क्षमता वाली तीन टुकड़ियां, एक इंजीनियर टास्क फोर्स, लगभग 20 कर्मियों वाली एक मेडिकल टीम सहायता में लगी है।
उत्तराखंड में भारी वर्षा से जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया, वहीं 24 घंटे में 11 की मौत हो गई। शिमला जिले में गांव समेज बुधवार रात करीब सवा 12 बजे बादल फटने से पूरी तरह तबाह हो गया। सैलाब की चपेट में आकर गांव के सभी 27 घर बह गए। अन्य राज्य के चार मजदूर, कंदराहड़ खुश्वा क्षेत्र से आठ लोग, छह मेगावाट एसेंट पावर प्रोजेक्ट के सात कर्मचारी और समेज गांव के 14 लोग बह गए। ये सभी लापता हैं।
लापता लोगों में आठ स्कूली बच्चे भी हैं। गुरुवार को दो मानव अवशेष मिले हैं। शिमला जिले के गानवी गांव में बादल फटने से चार मकान व दो पुल बह गए। इन घरों में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं, क्योंकि वे समय रहते बाहर निकल गए थे। मंडी जिले के राजबन में बादल फटने से सात लोग लापता हो गए। तीन लोगों के शव बरामद हुए और दो लोग घायल हो गए। दो अगस्त को भारी वर्षा की चेतावनी के मद्देनजर उपायुक्त ने मंडी जिले के सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित किया है। कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के मलाणा में बिजली परियोजना का बांध टूट गया। इस कारण एक मंदिर व कुछ मकान बह गए।
पार्वती नदी का जलस्तर बढ़ने से मणिकर्ण के शाट में सब्जी मंडी का भवन बह गया। ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से राष्ट्रीय राजमार्ग चंडीगढ़-मनाली कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया। इस कारण यह मार्ग बंद है। चंबा जिले के रूपणी में बादल फटने से हुए भूस्खलन के कारण 15 वाहन दब गए। यहां खेतों में फसलें तबाह हो गईं और सड़क क्षतिग्रस्त हुई है। जहां पर बादल फटे, वहां प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची। लापता लोगों की तलाश की जा रही है। उधर, मौसम विभाग प्रदेश में कई स्थानों पर बहुत भारी वर्षा का आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि बादल फटने की घटनाओं को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात कर उदारतापूर्वक सहयोग की मांग की है। शाह ने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। शाह ने एनडीआरएफ की दो टीमें भेजने के लिए कहा है। एयरफोर्स को अलर्ट कर सहायता के लिए तैयार रहने को कहा गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दूरभाष पर सीएम से बात कर प्रदेश में भारी वर्षा और बादल फटने से उत्पन्न स्थिति से जाना। सीएम दो अगस्त को रामपुर क्षेत्र का दौरा करेंगे व प्रभावित परिवारों से मिलेंगे।
उत्तराखंड में नदी-नाले उफान पर हैं और अधिकांश नदियां खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। केदारनाथ हाईवे और पैदल मार्ग ध्वस्त होने से केदारनाथ यात्रा गुरुवार को स्थगित रही। यात्रा मार्ग पर फंसे 3,700 से अधिक तीर्थ यात्रियों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व पुलिस ने सकुशल निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इनमें 700 तीर्थयात्री हेलीकाप्टर से रेस्क्यू किए गए। इसके लिए वायुसेना के मालवाहक हेलीकाप्टर चिनूक और एमआइ-17 गौचर हेलीपैड पर पहुंच गए हैं।
रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी के उफान को देखते हुए सोनप्रयाग व गौरीकुंड में होटल-लाज खाली करवा दिए गए हैं। ऋषिकेश और हरिद्वार में यात्रा पंजीकरण बंद रहे। कई गांवों में बिजली और पानी की लाइन टूटने से आपूर्ति बाधित है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र पहुंचकर बचाव एवं राहत कार्यों का निरीक्षण किया।
जुलाई के अंतिम दिन मौसम के तल्ख तेवरों के बीच उत्तराखंड में रिकार्ड वर्षा दर्ज की गई। 24 घंटे के भीतर वर्षा ने 58 वर्षों के रिकार्ड तोड़ दिया। शहर में बुधवार सुबह से गुरुवार सुबह तक करीब 24 घंटे में 175 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो वर्ष 1966 में हुई 487 मिमी वर्षा के बाद सर्वाधिक है। इसके अलावा हरिद्वार में भी 40 वर्ष में एक दिन के भीतर सर्वाधिक वर्षा (242 मिमी) हुई।