
देहरादून। रुद्रपुर निवासी सात वर्षीय बच्ची के बचपन से दिल में छेद था। छेद बंद करने के लिए पहले ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के तुरंत बाद दिल की धड़कन कम होने लगी। दोबारा जांच में कम्पलीट हार्ट ब्लॉकेज निकला। इसके बाद दून अस्पताल में बच्ची की पेसमेकर सर्जरी की गई है। 10 से 12 साल बाद पेसमेकर की बैटरी बदलनी पड़ेगी।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमर ने बताया कि इतनी कम उम्र में इस तरह की सर्जरी का जिक्र लिट्रेचर में भी नहीं है। डॉ. अमर उपाध्याय ने बताया कि दिल के छेद के ऑपरेशन के बाद बच्ची उभर रही थी, तभी माता-पिता ने देखा की बच्ची को सांस लेने में तकलीफ है। वह ज्यादा एक्टिव नहीं रहती है और चिड़चिड़ी भी हो गई है।
दोबारा जांच में पता चला कि बच्ची को कम्प्लीट हार्ट ब्लॉकेज है। ऐसी स्थिति में कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने इस केस को लेने से मना कर दिया। इसके बाद बच्ची को दून अस्पताल लाया गया। अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमर उपाध्याय ने पेसमेकर सर्जरी की। कंडक्शन सिस्टम पेसिंग (पेसमेकर) लगाया गया। यह पेसमेकर ज्यादा फिजियोलॉजिकल होता है।
डॉ. अमर उपाध्याय ने बताया कि बच्ची की जिंदगी के कई पड़ाव आएंगे। किशोरावस्था, प्रेग्नेंसी इत्यादि के दौरान दिल की धड़कन तेज होती है। इसमें यह पेसमेकर सफल रहेगा। यह सर्जरी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय, कार्डियक सर्जन डॉ. विकास सिंह ने दून अस्पताल में निशुल्क की है। डॉ. विकास ने बताया कि मसल में पेसमेकर डिवाइस की पकड़ बनाने के लिए डीप पॉकेट बनाया गया है।