देहरादून। राज्य गठन के बाद भले ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बुनियादी ढांचा काफी हद तक मजबूत हुआ है। लेकिन उत्तराखंड के 23 साल के सफर में आज भी पहाड़ों में विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी दूर नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं हैं। बांड व्यवस्था के तहत जिन डॉक्टर को दुर्गम क्षेत्रों में भेजा किया गया, उनमें अधिकतर डॉक्टर तैनाती देकर दोबारा नहीं गए।
प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टर के 1067 पद स्वीकृत हैं। इसमें 513 पदों पर ही डॉक्टर तैनात है। जबकि 554 पद खाली पड़े हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ और एमबीबीएस डॉक्टर उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किए गए। राजकीय मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स में बांड की व्यवस्था को लागू किया गया।
जिसमें कम फीस पर डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्र पास आउट होने के बाद पहाड़ों में सेवाएं दे सकते थे। लेकिन बांड व्यवस्था के सकारात्मक परिणाम नहीं मिले। बांडधारी डॉक्टर तैनाती के बाद दोबारा से पहाड़ नहीं गए। इनकी संख्या लगभग 200 से अधिक है। लंबे समय से गायब रहने वाले बांडधारी डॉक्टर को नोटिस जारी कर सेवाएं समाप्त की गई। साथ ही डॉक्टर से एमबीबीएस कोर्स की पूरी फीस ब्याज समेत वसूलने की कार्रवाई की गई।
यू कोड वी पे योजना के तहत प्रदेश सरकार सुपर स्पेशलिस्ट को प्रति माह छह लाख और विशेषज्ञ डॉक्टर को प्रति माह चार लाख तक मानदेय देने का ऑफर है। इसके बावजूद भी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। वर्तमान में कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, बाल रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन, फिजिशियन विशेषज्ञों की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
जिला डॉक्टर के स्वीकृत पद
- नैनीताल 343
- बागेश्वर 107
- चंपावत 111
- पिथौरागढ़ 173
- अल्मोड़ा 290
- ऊधमसिंहनगर 232
- देहरादून 311
- पौड़ी 368
- उत्तरकाशी 134
- टिहरी 234
- रुद्रप्रयाग 105
- चमोली 181
- हरिद्वार 231
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को के लिए पब्लिक हेल्थ कैडर बनाने की जरूरत है। अस्पतालों में विशेषज्ञों की भारी कमी है। जो डॉक्टर हैं, उनमें से कई को प्रशासनिक पदों पर तैनात किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और ईएसआई जैसे संस्थान कई ऐसे अधिकारियों को सौंपे गए हैं। जिनके उन पदों के सापेक्ष निर्धारित डिग्री नहीं है।
-अनूप नौटियाल, अध्यक्ष, एसडीसी फाउंडेशन
वर्तमान में प्रदेश के अस्पतालों में स्वीकृत पदों से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है। इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। आने वाले समय राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टर भी सरप्लस होंगे।
-डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री