जम्मू। जम्मू शहर के जानीपुर में हुई डॉ. सुमेधा की हत्या का कारण लव ट्रायंगल था। डॉ. जौहर महमूद दूसरी लड़की की चाहत में इतना डूबा था कि सुमेधा से छुटकारा पाना चाहता था। मगर सुमेधा सब कुछ पता होने के बाद भी उसे किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती थी। इसके बावजूद जौहर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। सुमेधा की ओर से दूसरी लड़की से दूर रहने की चेतावनी उसे चुभने लगी। दोनों में झगड़े तक होने लगे।
सुमेधा के फोन उठाने तक बंद कर दिए। इसी बीच उसने हत्या की साजिश रची। कई महीनों से सुमेधा को रास्ते से हटाने के लिए तरीके खोजे। इसके बाद उसने सुमेधा को मौत के घाट उतार दिया। 235 दिन के बाद यह खुलासा पुलिस की जांच में हुआ है। पुलिस ने जौहर के खिलाफ 1249 पेज का आरोप पत्र अदालत में पेश किया है। आईपीसी की धारा 302 के तहत मुख्य केस बनाया गया है।
जांच के अनुसार डॉ. सुमेधा जौहर से प्रेम करती थी, लेकिन जौहर दगा दे रहा था। सुमेधा के होते हुए भी अन्य लड़की से अफेयर किया, फिर भी सुमेधा ने ब्रेकअप नहीं किया। शायद उसे उम्मीद थी कि जौहर उसके पास आ जाएगा, लेकिन यह नहीं जानती थी कि जौहर ही उसकी मौत का कारण बनेगा। दोनों में अकसर बहस होती रहती थी।
इसी बीच 9 मार्च को पांपोश कॉलोनी में भद्रवाह के डॉ. जौहर ने तालाब तिल्लो की सुमेधा की चाकू से गोदकर हत्या कर दी। आरोपी इतना शातिर था कि उसने खुद भी मरने का ड्रामा किया और हल्के वार शरीर पर किए। जौहर ने होली से पहले दिल्ली में ही हत्या की साजिश रच ली थी। सुमेधा उस समय जम्मू में छुट्टी मनाने आई थी। पांपोश कॉलोनी में जौहर ने किराए का कमरा पहले से लिया था। यहां ही उसने वारदात को अंजाम दिया था। हत्या के लिए इस्तेमाल चाकू जानीपुर से खरीदा था।
9 मार्च को जौहर ने हत्या के बाद उसी चाकू से खुद पर इसलिए वार किए थे ताकि वह अस्पताल में रह सके। डॉक्टर होने के चलते उसे पता था कि किस हिस्से पर कितना जख्म होगा और जान भी नहीं जाएगी। इसी का फायदा उसने उठाया। दो दिन बाद फिर से टांके उखाड़ दिए, ताकि लंबे समय तक दाखिल रहे। इसके बाद भी वह लगातार मेडिकल का बहाना बनाकर पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा। अब दो हफ्ते पहले ही उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बता दें डॉ. सुमेधा और डॉ. जौहर एक साथ जम्मू के सयौड़ा में बीडीएस कॉलेज में पढ़ाई करते थे। हत्या से पहले सुमेधा दिल्ली के एक कॉलेज में एमडीएस कर रही थीं।
मामले की जांच के लिए 10 मार्च को एसआईटी का गठन किया गया था। एसडीपीओ बख्शी नगर विक्रम सिंह की अध्यक्षता में पड़ताल शुरू हुई थी लेकिन एक महीने बाद ही डीएसपी ने जांच में कुछ खास नहीं किया। इसके चलते एसएसपी जम्मू चंदन कोहली ने एसआईटी को बदल दिया और एसपी हेडक्वार्टर रमनीश गुप्ता के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई। इसमें एसडीपीओ दोमाना, एसडीपीओ गांधी नगर, एसएचओ बख्शी नगर, एसएचओ जानीपुर शामिल किए गए थे।