हल्द्वानी। तराई के जंगल में रानी (बाघिन) का दबदबा है। ग्लोबल टाइगर डे पर स्टेटस ऑफ टाइगर्स को प्रीडेटर्स एंड प्रे इंडिया-2022 की जो रिपोर्ट जारी हुई है, उसमें उत्तराखंड के वन प्रभाग और टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या से लेकर बाघ- बाघिन के लिंगानुपात का भी उल्लेख है।
रिपोर्ट में हल्द्वानी वन प्रभाग और तराई पश्चिमी वन प्रभाग में बाघिन और बाघ का लिंगानुपात 3:1 है यानि तीन बाघिनों पर एक बाघ। स्टेटस ऑफ टाइगर्स को प्रेडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया-2022 रिपोर्ट में राज्यवार बाघों की संख्या का आंकड़ा दिया गया।
संबंधित राज्य के टाइगर रिजर्व, डिविजन में जहां पर बाघों की संख्या का आकलन किया गया है, वहां पर कितने बाघों की फोटो खींची गई, कैमरा प्वाइंट समेत अन्य जानकारी दी गई है। लिंगानुपात का उल्लेख भी इसमें किया गया है।
इसमें तराई पश्चिम और हल्द्वानी वन प्रभाग में बाघिन- बाघ का 3:1 का अनुपात है। तराई पूर्वी, रामनगर कार्बेट टाइगर रिजर्व में यह अनुपात 2:1 का है, जबकि लैंसडौन वन प्रभाग में बाघ-बाघिन की संख्या बराबर है।
पश्चिम वृत्त के अधीन रामनगर, तराई पश्चिम, तराई केंद्रीय और हल्द्वानी वन प्रभाग आता है। इस वृत्त में पिछली गणना में बाघों की संख्या 140 थी, जो इस बार बढ़कर 216 हो गई है। 76 बिग कैट की संख्या बढ़ी है। पश्चिम वृत्त में भी सबसे ज्यादा बाघ रामनगर में हैं।
कहां कितने बाघ
प्रभाग | टाइगर की संख्या |
हल्द्वानी | 36 |
रामनगर | 67 |
तराई पूर्वी | 53 |
तराई पश्चिमी | 52 |
तराई केंद्रीय | 08 |
लैंसडौन | 29 |
नैनीताल | 01 |
टाइगर रिजर्व में बाघ की संख्या
प्रभाग | टाइगर की संख्या |
कार्बेट पार्क | 260 |
राजाजी | 54 |
राज्य में कुल बाघों की संख्या | 560 |
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
तराई पूर्वी पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश आर्य कहते हैं कि एक बाघ की सीमा में दो से तीन बाघिन रह सकती हैं, पर दो बाघ नहीं रह सकते हैं। अगर बाघिन की संख्या अधिक है तो आपसी संघर्ष कम होगा। इसके अलावा बाघिन की संख्या अधिक होती है तो टाइगर की संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. शाह बिलाल कहते हैं कि बाघिन की संख्या अधिक होना और बाघों की संख्या बढ़ना एक- दूसरे से जुड़े हैं, यह अच्छा संकेत है।