देहरादून। प्रदेश के सरकारी संस्थानों अथवा निजी संस्थानों में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षा कार्मिक अब सेना, पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों से मिलती जुलती वर्दी नहीं पहन सकेंगे।
गृह मंत्रालय के निर्देशों के क्रम में अब शासन निजी सुरक्षा एजेंसियों की नियमावली में इसकी व्यवस्था करने जा रहा है। यह स्पष्ट किया जाएगा कि निजी सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षा कार्मिक किस तरह की वर्दी पहन सकेंगे। इसके साथ ही निजी सुरक्षा एजेंसियों को अपने नाम के आगे प्राइवेट लिमिटेड लिखना अनिवार्य होगा।
प्रदेश में इस समय निजी सुरक्षा एजेंसियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस समय यहां 400 से अधिक सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही हैं। यह देखने में आया है कि ये सुरक्षा एजेंसियां पूर्व सैनिकों व अन्य को अपने यहां कार्य पर रखती हैं, जिन्हें विभिन्न सरकारी व निजी संस्थानों में तैनात किया जाता है। इन्हें जो वर्दी दी जाती है वह सेना, पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की भांति होती है।
इस पर पूर्व में सैनिक व पूर्व सैनिक संगठन भी आपत्ति जता चुके हैं। इतना ही नहीं, इस तरह की वर्दी की आड़ में कई बार आपराधिक कार्यों को भी अंजाम दिया गया है। यूं तो सुरक्षा एजेंसियों के पंजीकरण को बनाए गए एक्ट में पुलिस, सेना व अर्द्धसैनिक बलों से मिलती-जुलती वर्दी इस्तेमाल न करने का जिक्र है लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता।
सुरक्षा एजेंसियां प्रदेश की नियमावली के अनुसार ही कार्य करती हैं। कुछ समय पूर्व गृह मंत्रालय की बैठक में यह विषय उठा था, जिस पर निजी सुरक्षा एजेंसियों के कार्मिकों को इस तरह की वर्दी इस्तेमाल न करने के लिए सख्त कदम उठाने की बात की गई थी। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार भी आगे बढ़ते हुए नियमावली में बदलाव करने जा रही है।
इसके साथ ही प्रस्तावित नियमावली में सुरक्षा एजेंसी के आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह आनलाइन करने, पूरी प्रक्रिया को समयबद्ध बनाने और आवेदन शुल्क व कार्मिकों के प्रशिक्षण का भी प्रविधान किया जा रहा है। विशेष सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियों की नियमावली में बदलाव का कार्य चल रहा है। एक माह के भीतर इस नियमावली को तैयार कर कैबिनेट के सम्मुख लाया जाएगा।