देहरादून। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और राजकीय मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के एक समान पंजीकरण शुल्क लागू किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पर्चा बनाने का शुल्क अलग-अलग है।
सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार ने इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड(आईपीएचएस) मानकों को लागू किया है। इसके लिए अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की पांच श्रेणियां बनाई है। लेकिन अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों से पर्चा बनाने के लिए शुल्क अलग-अलग लिया जाएगा।
वर्ष 2015-16 में सरकार ने सरकारी अस्पतालों में हर साल 10 प्रतिशत के हिसाब से पंजीकरण शुल्क बढ़ाने की व्यवस्था की थी। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले स्वास्थ्य विभाग ने शुल्क बढ़ाने के आदेश जारी किए। जिसे सरकार ने रद्द किया था।
प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक पर्चा-एक शुल्क लागू करने की तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के माध्यम से एक समान शुल्क दरें तय करने के लिए प्रस्ताव बनाया जा रहा है। जिसके बाद कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी।
वर्तमान में ये है शुल्क की दरेंजिला अस्पतालों में ओपीडी पर्चा बनाने के लिए 28 रुपये शुल्क लिया जा रहा है। जबकि सीएचसी में 15 रुपये और पीएचसी में 11 रुपये है। राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में भी 28 रुपये है। लेकिन हल्द्वानी और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पर्चा बनाने का शुल्क पांच रुपये लिया जा रहा है।
सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में जल्द ही एक पर्चा-एक शुल्क को लागू किया जाएगा। विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। अभी तक अस्पतालों में पंजीकरण शुल्क की दरें अलग-अलग है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। नई व्यवस्था से शुल्क दरों में समानता आएगी। -डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री
प्रदेश में पीएचसी श्रेणी ए की 526, पीएचसी श्रेणी बी-52, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 80, उप जिला चिकित्सालय 21, जिला चिकित्सालय की संख्या 13 है। इसके लिए अलावा प्रदेश में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित है। इसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज दून, हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोड़ा शामिल हैं।