कोढ़ रोग को हमारे समाज में हमेशा से ही हीन भावना से देखा जाता है। इस बीमारी को भगवान का शाप या दंड माना जाता रहा है। समाज में लोग कोल्ड रोगियों से हमेशा दूरी बना कर रहे हैं। सदियों से इस बीमारी से पीड़ित लोगों को समाज से अलग रखा गया है। भारत ही नहीं दुनिया के विदेशों में कुष्ठ रोगियों के लिए कई आश्रम चलते हैं। लेकिन यूरोप के ग्रीस और यूनान जैसे देशों ने अपने यहां के कुष्ठ रोगियों को आम लोगों से दूर रखने के लिए एक आईलैंड ही अलग कर दिया था।
इस आइलैंड का नाम स्पिनालॉन्गा आइलैंड है। ये यूनान के सबसे बड़े क्रीट द्वीप के पास स्थित है। ये भूमध्य सागर में मिराबेलो की खाड़ी के मुहाने पर मौजूद है। लेकिन आज इस आईलैंड पर कोई नहीं रहता और यह वीरान पड़ा है। यहां पर बेहद कम लोग ही जाते हैं। इस जगह की सबसे पहले वेनिस के राजा ने यहां पर सैनिक अड्डा बनाया था। इसके बाद तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य ने इस पर कब्जा कर लिया। हालांकि, साल 1904 में क्रीट के लोगों ने तुर्कों को यहां से खदेड़ दिया। इसके बाद यह आइलैंड को कोढ़ के मरीजों का अड्डा बना दिया गया। साल 1975 में दुनिया को इस कोढ़ आश्रम के बारे में पता चला। इसके बाद यूनानी सरकार की बहुत आलोचना हुई।
जिसके बाद यहां के सभी लोगों को इलाज के लिए ले जाया गया और इस कुष्ठ रोगी आश्रम को बंद कर दिया गया। इसके बाद से स्पिनालॉनगा आइलैंड वीरान पड़ा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस आईलैंड पर कोढ़ के मरीजों के इलाज का भी कोई इंतजाम नहीं था। इस द्वीप पर एक ही डॉक्टर आता था, वो भी तब जब किसी मरीज को कोई और बीमारी हो जाती थी। इंद्र को बनाने से पहले ही कुष्ठ रोग का इलाज खोज लिया गया था लेकिन यहां रहने वाले मरीजों का इलाज नहीं होता था।