हम प्रदेश के कुछ कॉलेजों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं। जियो फेंसिंग हाजिरी से मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी। पायलट सफल रहा तो प्रदेशभर में इसे लागू किया जाएगा।
– शैलेश बगोली, सचिव, उच्च शिक्षा एवं सूचना प्रौद्योगिकी
देहरादून। दूर दराज के पर्वतीय इलाकों के डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों और छात्रों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए जियो फेंसिंग हाजिरी सिस्टम लागू होगा। उच्च शिक्षा विभाग जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत करने जा रहा है। भविष्य में यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी।
दरअसल, प्रदेश के तमाम दुर्गम इलाकों के डिग्री कॉलेज ऐसे हैं, जहां शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति का आंकड़ा काफी कमतर रहता है। महीने में कुछ दिन जाकर शिक्षक अपनी हाजिरी पूरी कर लेते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए ही जियो फेंसिंग हाजिरी सिस्टम लागू करने की तैयारी है।
उच्च शिक्षा विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने जा रहा है। इसके तहत जो भी शिक्षक या छात्र कॉलेज परिसर में प्रवेश करेगा तो उसके मोबाइल से ही उसकी हाजिरी लग जाएगी। इसके लिए मोबाइल जियो फेंसिंग के दायरे में आना जरूरी है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहाड़ के कुछ डिग्री कॉलेजों में इसकी शुरुआत होगी। सफल रहने पर सभी कॉलेजों में इसे लागू किया जाएगा। इससे पहले परिवहन निगम अपने सभी बस अड्डों पर इसे लागू कर चुका है, जिसके तहत बस अड्डों की जियो फेंसिंग की गई है। यह सैटेलाइट आधारित प्रणाली है, जिसमें एक विशेष क्षेत्र की जियो फेंसिंग यानी बाउंड्री बना दी जाती है। इस दायरे में जो भी डिवाइस आएगी, वह रिकॉर्ड में आ जाएगी। जियो फेंसिंग के भीतर आने पर ही मोबाइल का वह ऐप काम करेगा जो कि इससे संबंधित होता है।
जब कोई छात्र या शिक्षक अपने मोबाइल के साथ कैंपस में प्रवेश करेंगे तो उन्हें इसमें डाउनलोड किया गया हाजिरी का ऐप खोलना होगा। यह ऐप केवल कॉलेज के भीतर यानी जियो फेंसिंग दायरे में आने पर ही काम करेगा। इस ऐप को खोलने के बाद एक ओटीपी उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आएगा। इसे फीड करेंगे तो ही हाजिरी लग सकेगी। जैसे ही छात्र, शिक्षक उस कैंपस से बाहर जाएंगे तो उनका रिकॉर्ड स्वत: ही अपडेट हो जाएगा।