ट्रामा सेंटर के भवन में सिटी स्कैन मशीन लगाने के लिए महानिदेशक से वार्ता चल रही है। इसके लिए पत्राचार भी किया गया है। वर्तमान में वहां कोविड टीकाकरण सहित अन्य कार्य चल रहे हैं।
-डॉ. केके पांडेय, अधीक्षक, राजकीय अस्पताल रानीखेत।
रानीखेत (अल्मोड़ा)। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकी हैं। रानीखेत ब्लॉक के अस्पतालों की स्थिति इसकी गवाह है। रानीखेत राजकीय अस्पताल में 13 साल पहले एक करोड़ रुपये की लागत से ट्रामा सेंटर का भवन तो खड़ा कर दिया लेकिन अब तक इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है। गंभीर दुर्घटनाओं के मरीज आज भी हल्द्वानी अथवा महानगरों को रेफर होने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
उपमंडल क्षेत्र की सड़कों पर आए दिन वाहन दुर्घटनाएं होती हैं। अन्य स्थानों पर कहीं भी ट्रामा सेेंटर नहीं हैं। वर्ष 2000 में राजकीय अस्पताल में एक करोड़ की लागत से ट्रामा सेंटर स्वीकृत हुआ। भवन बनने के बाद 2009 में तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने अल्मोड़ा में इसका लोकार्पण कर दिया लेकिन सरकार संसाधन, उपकरण और डॉक्टर नहीं जुटा पाई। पिछले 13 वर्षों में प्रशासन और शासन ट्रामा सेंटर का संचालन नहीं करा पाए हैं।
ट्रामा सेंटर के लिए ये डाक्टर हैं जरूरी
- न्यूरो सर्जन
- आर्थोपेडिक सर्जन
- जनरल सर्जन
- रेडियोलॉजिसट
- एनेस्थेसिस्ट
- सीटी स्कैन विशेषज्ञ
- पैरा मेडिकल स्टाफ