रोडियो कॉलर की बैटरी बदलना काफी पेचीदा
बाघिन के गले में लगे सेटेलाइट रेडियो कॉलर में नई बैटरी लगाने के सवाल पर वन संरक्षक राजीव धीमान ने कहा कि इसके लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से मंजूरी लेनी पड़ती है। साथ ही बाघिन को ट्रेंकुलाइज करके बेहोश करना होगा। यह काफी पेचीदा काम है। वहीं, बाघिन अब राजाजी टाइगर रिजर्व में रहने की आदी हो गई है। ऐसे में रेडियो कॉलर की बैटरी बदलने की जरूरत नहीं है।
देहरादून। एक महीने से लापता बाघिन राजाजी टाइगर रिजर्व में ही है। बेरीवाड़ा रेंज में लगाए गए ट्रैप कैमरों में उसकी गतिविधियां कैद होने पर अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। बाघिन के गले में दिसंबर 2020 में लगाया गया सेटेलाइट रेडियो कॉलर भी सुरक्षित है। हालांकि, उसकी बैटरी खत्म होने से बाघिन की मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है।
शिवालिक वृत्त के वन संरक्षक एवं राजाजी टाइगर रिजर्व के कार्यवाहक निदेशक राजीव धीमान ने बताया कि करीब एक महीने पहले रानी नाम की बाघिन लापता हो गई थी। अधिकारियों के नेतृत्व में कई टीमें उसकी तलाश में जुटी थीं। इस दौरान बेरीवाड़ा और रामगढ़ रेंज में बाघ के पदचिह्न मिले थे। माप लेकर इनका मिलान कराया गया और दोनों रेंज में ट्रैप कैमरे बढ़ाए गए।
अब बेरीवाड़ा रेंज के ट्रैप कैमरों में बाघिन की गतिविधियां कैद हुई हैं। इससे साफ है कि वह टाइगर रिजर्व से बाहर नहीं गई है। हालांकि, अभी उसे प्रत्यक्ष नहीं देखा गया। इसकी संभावनाएं भी कम हैं। फिर भी इसके लिए वार्डन की अगुवाई में वनकर्मियों की टीमें गश्त कर रही हैं। उनका कहना है कि पूरी उम्मीद थी कि बाघिन टाइगर रिजर्व से बाहर नहीं गई है। क्योंकि, बाहर निकलकर वह आबादी क्षेत्र में इंसान या पालतू जानवरों पर हमले जरूर करती है।