देहरादून। मेरी वन विभाग में अलग छवि थी। भर्तियों में बदनामी के डर से मैंने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। 2016 वीडीओ भर्ती की एसटीएफ जांच का स्वागत करते हुए आयोग के पहले अध्यक्ष आरबीएस रावत ने कहा कि वह असहज महसूस कर रहे थे, इसलिए इस्तीफा देने में ही भलाई समझी।
दरअसल, आयोग की स्थापना के बाद सबसे पहले बतौर अध्यक्ष जिम्मेदारी वरिष्ठ आईएफएस आरबीएस रावत को दी गई थीं। उनके कार्यकाल में तीन परीक्षाएं हुईं। इनमें से 2016 की वीडीओ भर्ती परीक्षा विवादों में आ गई थी, जिसमें ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करके बड़ी संख्या में युवा पास कर दिए गए थे। रावत के कार्यकाल में ही उस आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशंस को पहली बार काम दिया गया था, जिसका निदेशक हाल ही में पेपर लीक मामले में गिरफ्तार हुआ है। सभी सवालों पर आरबीएस रावत ने अमर उजाला से बातचीत की।
आरबीएस रावत ने कहा कि एक साल तो ऑफिस को सेट करने में लगा। इसके बाद परीक्षाएं शुरू कीं। दो एग्जाम ठीक हो भी गए। तीसरी 2016 की वीडीओ भर्ती भी ठीक हुई लेकिन आरोप लगने के बाद मैं अपनी टीम को लेकर शासन पहुंचा। हमने सभी ओएमआर शासन के हवाले करते हुए इसकी जांच की मांग की। शासन ने 25 अप्रैल 2016 को एक पत्र भेजा, जिसमें लिखा था कि प्रथम दृष्टया इस परीक्षा में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है। इसी दिन उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। रावत का कहना है कि उनकी वन विभाग में भी स्वच्छ छवि थी, जिसे खराब होने का डर उन्हें सता रहा था। इसीलिए उन्होंने तत्काल इस्तीफा दे दिया था।
हाल ही में पेपर लीक में आरएमएस कंपनी का मालिक राजेश चौहान गिरफ्तार हुआ है। इस कंपनी का चयन आरबीएस रावत के कार्यकाल में होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बाकायदा टेंडर के माध्यम से कंपनी का चयन किया गया था। उन्होंने बताया कि इस कंपनी का रेट कम था, अन्य राज्यों का अनुभव भी था। उन्होंने यह भी कहा कि अब पेपर लीक में कंपनी निदेशक के पकड़ने की खबर पढ़ी तो पता चला कि आज तक भी वह कंपनी अपनी सेवाएं दे रही थीं।
वीडीओ भर्ती परीक्षा की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की पुष्टि फोरेंसिक लैब की जांच में हुई थी। इसके सवाल पर पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत ने कहा कि जब तक वह आयोग में रहे, तब तक ओएमआर शीट ठीक थी। मेरे आयोग छोड़ने के बाद किसने ओएमआर में छेड़छाड़ की, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने आयोग के नए अध्यक्ष को कार्यभार सौंपा तो उन्हें सलाह दी थी कि वह इस पूरे मामले की पड़ताल कर लें।