
देहरादून। राजधानी देहरादून में वर्षों से शहर की पहचान बने संडे बाजार को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय सामने आया है। जिला प्रशासन ने रेंजर्स ग्राउंड में लगने वाले संडे बाजार को ISBT क्षेत्र में शिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया है। अब यह साप्ताहिक बाजार ISBT के पास एमडीडीए कॉलोनी के सामने उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन की भूमि पर लगाया जाएगा। हालांकि, इस फैसले के सार्वजनिक होते ही स्थानीय निवासियों और रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी ने इसका विरोध शुरू कर दिया है, जिससे मामला विवाद का रूप लेता जा रहा है।
संडे बाजार लंबे समय तक लैंसडौन चौक से तिब्बती बाजार वाली सड़क पर संचालित होता रहा है। कोरोना काल के दौरान बाजार बंद रहा और जब दोबारा संचालन शुरू हुआ तो प्रशासन ने इसे रेंजर्स ग्राउंड में स्थानांतरित कर दिया। रेंजर्स ग्राउंड दून अस्पताल, घंटाघर, कलेक्ट्रेट और कचहरी जैसे अत्यधिक व्यस्त इलाकों के समीप स्थित है, जिसके कारण हर रविवार पूरे क्षेत्र में भारी जाम की स्थिति बन जाती थी। इसी वजह से लंबे समय से संडे बाजार को वहां से हटाने की मांग उठ रही थी।
इस मांग को ध्यान में रखते हुए और रविवार वीकली बाजार कल्याण समिति की सहमति के आधार पर प्रशासन ने शिफ्टिंग का निर्णय लिया। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किए। आदेश में बताया गया है कि जिस भूमि पर संडे बाजार शिफ्ट किया जा रहा है, वह मार्च 2023 में नियो मेट्रो परियोजना के लिए मेट्रो रेल कार्पोरेशन को लीज पर दी गई थी। वर्तमान में यह भूमि एमडीडीए के नियंत्रण में है और प्रशासन के अनुसार फिलहाल खाली है।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक मेट्रो परियोजना का काम धरातल पर शुरू नहीं होता, तब तक संडे बाजार इसी भूमि पर संचालित किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि इससे शहर के मध्यवर्ती और अत्यधिक व्यस्त क्षेत्रों में लगने वाले जाम से राहत मिलेगी।
हालांकि, प्रशासन के इस निर्णय से ISBT क्षेत्र के निवासी संतुष्ट नहीं हैं। एमडीडीए कॉलोनी की रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी ने संडे बाजार की शिफ्टिंग का विरोध करते हुए कहा है कि ISBT चौक और आसपास का इलाका पहले से ही जाम का हॉटस्पॉट बना हुआ है। वाहनों के अत्यधिक दबाव के कारण यहां यातायात अक्सर ठप हो जाता है। ऐसे में संडे बाजार लगने से स्थिति और विकट हो सकती है।
निवासियों का कहना है कि निकट भविष्य में दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के शुरू होने से देहरादून की ओर वाहनों का दबाव 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। ऐसी स्थिति में यदि ISBT क्षेत्र में संडे बाजार लगाया गया तो यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है और आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
इसके अलावा, जिस भूमि को प्रशासन ने खाली बताया है, वहां वर्तमान में एमडीडीए की नर्सरी संचालित हो रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नर्सरी को वे ग्रीन बेल्ट के रूप में देखते हैं और इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन संडे बाजार लगने से न केवल शांति व्यवस्था प्रभावित होगी बल्कि हरियाली और नर्सरी को भी नुकसान पहुंचेगा।
संडे बाजार की शिफ्टिंग को लेकर वैकल्पिक स्थानों पर भी बहस तेज हो गई है। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों का कहना है कि रिंग रोड क्षेत्र संडे बाजार के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। वहां आबादी का दबाव अपेक्षाकृत कम है, सड़कें चौड़ी हैं और बड़े भूखंड उपलब्ध हैं। इसके साथ ही रिंग रोड क्षेत्र में सरकारी भूमि पर भूमाफिया द्वारा किए गए अवैध कब्जों का मुद्दा भी लंबे समय से उठता रहा है।
स्थानीय लोगों का तर्क है कि यदि प्रशासन सीलिंग एक्ट के तहत सरकार में निहित भूमि को चिन्हित कर संडे बाजार के लिए अधिकृत करे, तो एक ओर अवैध कब्जों पर अंकुश लगेगा और दूसरी ओर संडे बाजार को स्थायी और निर्बाध स्थान मिल सकेगा। संडे बाजार में आने वाले अधिकांश खरीदारों को बाजार की सटीक लोकेशन से फर्क नहीं पड़ता, बशर्ते वहां पहुंचना आसान हो।
फिलहाल संडे बाजार की शिफ्टिंग को लेकर प्रशासन और स्थानीय निवासियों के बीच टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन विरोध को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करता है या ISBT क्षेत्र में संडे बाजार को लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था तैयार करता है।




