
देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर सियासी गर्माहट देखने को मिली, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर वायरल एक कथित एआई-निर्मित वीडियो के विरोध में भाजपा मुख्यालय की ओर एकांकी मार्च किया। यह वीडियो मुस्लिम समुदाय से जोड़कर रावत के नाम से प्रसारित किया गया था, जिसे उन्होंने पूरी तरह फर्जी और दुर्भावनापूर्ण बताया है।
पूर्व सीएम जैसे ही अपने समर्थकों के साथ भाजपा मुख्यालय की ओर बढ़े, पुलिस ने पहले से लगाए गए बैरिकेड के जरिए उन्हें रोक दिया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिससे कुछ समय के लिए माहौल तनावपूर्ण हो गया। स्थिति बिगड़ती देख हरीश रावत वहीं सड़क पर बैठ गए और धरना शुरू कर दिया।
धरने के दौरान हरीश रावत ने आरोप लगाया कि उनकी छवि खराब करने और समाज में झूठ व भ्रम फैलाने के उद्देश्य से एआई तकनीक का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल उनका व्यक्तिगत अपमान नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक सौहार्द पर सीधा हमला है। रावत ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक लाभ के लिए तकनीक का सहारा लेकर झूठे नैरेटिव गढ़ रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य सरकार की नीतियों पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बेरोजगार युवाओं से विभिन्न विभागों में भर्ती कराने का वादा किया था, लेकिन आज स्थिति यह है कि युवाओं की उम्र निकलती जा रही है और सरकारी नौकरियों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा। रावत ने इसे युवाओं के भविष्य के साथ धोखा करार दिया।
हरीश रावत ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार एक माह के भीतर अपने भर्ती संबंधी वादों पर ठोस कदम नहीं उठाती है, तो वह 30 जनवरी 2026 को देहरादून के गांधी पार्क में 24 घंटे का धरना देंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि युवाओं के हक और सम्मान की लड़ाई है।
इस घटनाक्रम के बाद राजधानी देहरादून में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एआई तकनीक के कथित दुरुपयोग और बेरोजगारी के मुद्दे ने एक बार फिर सरकार और विपक्ष को आमने-सामने ला खड़ा किया है, वहीं आने वाले दिनों में इस विवाद के और गहराने के संकेत भी दिखाई दे रहे हैं।





