
हरिद्वार। हरिद्वार जिले में आठ साल की खामोशी के बाद एक बार फिर गैंगवार की गोलियों ने कानून-व्यवस्था की नींद तोड़ दी है। बुधवार को लक्सर क्षेत्र में फ्लाईओवर पर दिनदहाड़े हुई अंधाधुंध फायरिंग ने पूरे जिले को दहशत में डाल दिया। पेशी पर ले जाए जा रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विनय त्यागी पर पुलिस वाहन के भीतर ही शूटरों ने गोलियों की बौछार कर दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि संगठित अपराध का नेटवर्क अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
यह वारदात केवल एक आपराधिक हमला नहीं थी, बल्कि उसने हरिद्वार के उस काले अतीत को फिर से सामने ला दिया, जब अदालत परिसरों, जेल गेटों और सार्वजनिक स्थानों पर गैंगवार आम बात हुआ करती थी। फ्लाईओवर पर अचानक चली गोलियों की आवाज से राहगीरों और आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए और कुछ समय के लिए पूरा क्षेत्र दहशत के साए में आ गया।
क्राइम एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह घटना इस बात का संकेत है कि भले ही कुछ वर्षों तक जिले में गैंगवार शांत रही हो, लेकिन अपराध की जड़ें अंदर ही अंदर मजबूत बनी रहीं। जैसे ही अवसर मिला, पुराने विवाद और वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर हिंसक रूप में सामने आ गई।
हरिद्वार और रुड़की का आपराधिक इतिहास ऐसे कई मामलों से भरा रहा है। वर्ष 2017 में रुड़की अदालत परिसर के भीतर शार्प शूटर देवपाल राणा की दिनदहाड़े हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। इससे पहले 2014 में रुड़की जेल से रिहा होते समय चीनू पंडित पर जेल गेट पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई थी, जिसमें उसके तीन साथियों की जान चली गई थी। वहीं 2011 में रुड़की जेल के डिप्टी जेलर नरेंद्र खंपा की हत्या ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने गैंगस्टरों के शागिर्द, रिश्तेदार और सहयोगी अब नए नामों और नए तरीकों से सक्रिय हो रहे हैं। जमीन, रंगदारी, वसूली और वर्चस्व की वही पुरानी लड़ाई आज भी जारी है, बस चेहरे बदल गए हैं और रणनीति अधिक शातिर हो गई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार विनय त्यागी पर करीब 59 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और उसका नेटवर्क पांच राज्यों तक फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश में उसका गिरोह पंजीकृत है, जबकि उत्तराखंड में उसके संबंधों की परतें अब जांच का विषय बनी हुई हैं। यह भी चर्चा में है कि वह पहले कुख्यात गैंगस्टर सुनील राठी के लिए काम कर चुका है, हालांकि पुलिस इस पहलू की औपचारिक पुष्टि से फिलहाल बच रही है।
लक्सर की इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या गैंगवार पर लगाम लगाने के दावे जमीनी हकीकत से मेल खाते हैं। आम लोगों के मन में डर है कि यदि संगठित अपराध पर समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो हरिद्वार जिला एक बार फिर उसी अंधे दौर में लौट सकता है, जहां कानून से ज्यादा गोली की आवाज सुनी जाती थी।





