
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ महायुती गठबंधन ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया है, लेकिन इन नतीजों में सबसे अधिक चर्चा नागपुर जिले की कामठी नगर पालिका परिषद की रही। यहां बीजेपी ने चार दशक बाद जीत दर्ज कर एक ऐसा राजनीतिक इतिहास रच दिया, जिसकी कल्पना लंबे समय से की जा रही थी। 40 वर्षों से कांग्रेस के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में ‘कमल’ का खिलना न सिर्फ बीजेपी के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, बल्कि इसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ के रूप में भी देखा जा रहा है।
कामठी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार शाकुर नगानी को कड़े मुकाबले में पराजित किया। यह चुनाव आखिरी क्षण तक बेहद रोमांचक बना रहा। मतगणना के शुरुआती दौर में कांग्रेस उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए थे, जिससे ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस एक बार फिर अपनी परंपरागत सीट बचाने में सफल हो जाएगी। लेकिन अंतिम राउंड में समीकरण बदले और बीजेपी ने बाजी मार ली। अजय अग्रवाल ने महज 103 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर कांग्रेस के किले में सेंध लगा दी।
इस जीत का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कामठी नगर पालिका परिषद को लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। 40 साल से अधिक समय तक इस सीट पर बीजेपी को सफलता नहीं मिली थी। ऐसे में यह जीत केवल एक नगर पालिका परिषद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस के जनाधार में आई कमजोरियों और बीजेपी की संगठनात्मक मजबूती को भी दर्शाती है।
पूरे महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो सत्तारूढ़ महायुती गठबंधन ने 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में से 207 स्थानों पर अध्यक्ष पद जीतकर अपना दबदबा कायम रखा है। इस गठबंधन में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत पवार गुट) शामिल हैं। इन नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जिसने अकेले 117 अध्यक्ष पद अपने नाम किए। यह आंकड़ा बीजेपी की बढ़ती राजनीतिक पकड़ और जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन को साफ तौर पर दिखाता है।
कामठी की यह जीत विवादों से भी अछूती नहीं रही। हार के बाद कांग्रेस उम्मीदवार शाकुर नगानी ने चुनाव परिणामों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान भी यहां सियासी माहौल काफी गर्म रहा। टिकट वितरण और गठबंधन को लेकर भी कई तरह की अटकलें और असंतोष सामने आए। पूर्व एमएलसी सुलेखा कुंभारे द्वारा बहुजन रिपब्लिकन एकता मंच के प्रत्याशी को मैदान में उतारने और बीजेपी से समर्थन की उम्मीद ने इस सीट को और भी दिलचस्प बना दिया था। हालांकि अंततः बीजेपी ने अपने प्रत्याशी पर भरोसा जताया और उसी रणनीति ने उसे ऐतिहासिक सफलता दिला दी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कामठी नगर पालिका परिषद में बीजेपी की यह जीत आने वाले समय में नागपुर जिले ही नहीं, बल्कि पूरे विदर्भ क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित कर सकती है। कांग्रेस के लिए यह परिणाम आत्ममंथन का संकेत है, जबकि बीजेपी के लिए यह संगठन और रणनीति की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र की सियासत में यह चुनावी नतीजा लंबे समय तक चर्चा में बना रहने की संभावना है।







