
नैनीताल। 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के एक संवेदनशील मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारी पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने निर्धारित समय सीमा के भीतर आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर जांच अधिकारी पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया है और यह राशि तीन दिनों के भीतर हाईकोर्ट एडवोकेट वेलफेयर सोसायटी में जमा कराने का निर्देश दिया है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की एकल पीठ में हुई। अदालत में नैनीताल निवासी आरोपी उस्मान खान की जमानत प्रार्थनापत्र पर विचार किया जा रहा था। आरोपी के विरुद्ध मल्लीताल कोतवाली में 30 अप्रैल को नाबालिग से दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ था। घटना के बाद शहर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे और स्थानीय नागरिकों ने सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर अपराध में जांच अधिकारी का ढिलापन अस्वीकार्य है। ऐसे मामलों में समयबद्ध और पारदर्शी जांच आवश्यक है ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके और आरोपी को उचित दंड दिया जा सके। अदालत ने सरकार से भी इस मामले में एफएसएल रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आवश्यक कदम शीघ्र पूरा करने को कहा।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की है। इस दौरान जांच अधिकारी को अपनी लापरवाही का कारण स्पष्ट करना होगा। न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में इस प्रकार की चूक पर और कठोर कार्रवाई की जा सकती है।




