
देहरादून। राजधानी देहरादून के थानों क्षेत्र स्थित लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव 2025 के दूसरे दिन मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने न केवल तकनीकी युग की चुनौतियों पर बोलते हुए साहित्यकारों को नए युग के विषयों पर लिखने का आह्वान किया, बल्कि अपनी मधुर आवाज़ में संत कवयित्री मीरा बाई के भजन गाकर कार्यक्रम स्थल का माहौल भक्तिमय कर दिया।
मेघवाल ने जब मीरा बाई का प्रसिद्ध भजन “मीरा के प्रभु पीर मिटेगी जब वैद्य सांवरिया होए” गाया, तो पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने मीरा का एक और भजन “भई री मैं तो प्रेम दीवानी, मेरा दरद न जाने कोई, सूली ऊपर सेज पिया की, किस विध मिलना होई” भी सुनाया। उनकी प्रस्तुति से श्रोता भावविभोर हो गए और आयोजन स्थल पर कुछ समय के लिए भक्ति और संस्कृति का सुंदर संगम देखने को मिला।
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय इंडस्ट्री 4.0 का युग है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, थ्री डी प्रिंटिंग जैसी आधुनिक तकनीकें मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों और लेखकों को इन नई तकनीकों के प्रभाव और चुनौतियों पर भी गंभीरतापूर्वक लिखना चाहिए, ताकि समाज इस परिवर्तन को समझ सके और उसका सही दिशा में उपयोग कर सके।
उन्होंने बताया कि थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक का ही परिणाम है कि भारत का नया संसद भवन तैयार हुआ, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत आज तकनीकी और सांस्कृतिक रूप से एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक नवाचारों का संतुलन ही राष्ट्र की प्रगति का मार्ग तय करेगा।
मेघवाल ने महिलाओं के अधिकारों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह बिल संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करता है, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व कदम है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी रचना से पंक्तियाँ सुनाईं— “नारी को वंदन करने का अवसर मोदी ने दिलाया है, बिल को संसद से सर्वसम्मति से पास कराया है।”
कार्यक्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष चिदानंद मुनि, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने हिमालयी राज्यों के विकास, संस्कृति और सतत पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित सत्र में प्रतिभागियों ने साहित्य, तकनीक और संस्कृति के संगम पर विचार साझा किए। कार्यक्रम के अंत में केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि भारत का भविष्य तभी उज्जवल होगा जब साहित्य, समाज और विज्ञान एक साथ आगे बढ़ेंगे, और देश के युवा इन तीनों को जोड़ने की जिम्मेदारी उठाएंगे।




