
देहरादून | देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के दूसरे चरण की घोषणा कर दी है, लेकिन इस सूची में उत्तराखंड का नाम शामिल नहीं किया गया है। सोमवार को आयोग ने उत्तर प्रदेश सहित कुल 12 राज्यों में एसआईआर के दूसरे चरण की शुरुआत करने का निर्णय लिया। जबकि उत्तराखंड में मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कार्यालय पहले ही इस प्रक्रिया की तैयारियों में जुटा हुआ था।
चुनाव आयोग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, जिन 12 राज्यों को दूसरे चरण के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान में शामिल किया गया है, वहां मतदाता सूची का अद्यतन, सत्यापन और नये मतदाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया आगामी माह से शुरू होगी। हालांकि, उत्तराखंड को इस सूची से बाहर रखे जाने से यहां की राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक हल्कों में चर्चा तेज हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड में एसआईआर की प्रक्रिया को अगले चरण में शुरू किए जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के साथ अप्रैल 2026 में राज्य में भी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए फिलहाल तैयारियां जारी हैं और मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि मतदाता सूची का अद्यतन लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे अहम प्रक्रिया मानी जाती है। उत्तराखंड में वर्ष 2023 की मतदाता सूची को आधार बनाते हुए नए पुनरीक्षण की तैयारी की जा रही है। इस सूची के आधार पर मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मृतक, स्थानांतरित या दोहरे नाम सूची से हटा दिए जाएं, और नये पात्र मतदाताओं को जोड़ा जा सके।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान प्रत्येक मतदाता को एक फॉर्म प्रदान किया जाएगा, जिसे भरकर संबंधित बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) को जमा कराना होगा। यदि कोई व्यक्ति यह फॉर्म निर्धारित समय सीमा में जमा नहीं कराता है, तो उसके नाम पर नोटिस जारी किया जाएगा। नोटिस के बाद उपजिलाधिकारी (एसडीएम) स्तर पर सुनवाई की जाएगी, और यदि मतदाता संतोषजनक प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाया, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
उत्तराखंड में एसआईआर अभियान की तैयारियों के बावजूद फिलहाल आयोग के नए आदेश ने इस प्रक्रिया को कुछ समय के लिए टाल दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय का कहना है कि जैसे ही चुनाव आयोग उत्तराखंड में एसआईआर की औपचारिक घोषणा करेगा, उसी के अनुरूप आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह देरी तकनीकी कारणों और अन्य राज्यों में पहले चरण की प्रक्रियाओं को पूर्ण करने की आवश्यकता से जुड़ी हो सकती है। चुनाव आयोग इस बार मतदाता सूची को पूरी तरह डिजिटल और सटीक बनाने के मिशन पर है, ताकि आगामी चुनावों में किसी तरह की त्रुटि या दोहराव की गुंजाइश न रहे। अब प्रदेश में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग उत्तराखंड में एसआईआर की घोषणा कब करता है। फिलहाल राज्य के सभी जिलों में प्रशासन ने बीएलओ नियुक्तियों, फॉर्म वितरण और मतदाता सत्यापन की प्रारंभिक तैयारियां पूरी कर ली हैं, ताकि आदेश मिलते ही यह प्रक्रिया सुचारु रूप से शुरू की जा सके।






