
नैनीताल। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के जंगलों में इन दिनों हाथियों के बीच आपसी संघर्ष बढ़ता जा रहा है। बाघों की तुलना में अब हाथियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने अधिक जानें ली हैं। पिछले 25 वर्षों में 40 हाथी ऐसे संघर्षों में अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि इसी अवधि में बाघों के बीच हुई लड़ाइयों में 37 बाघ मारे गए हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, इस संघर्ष का मुख्य कारण प्रजनन काल में मादा हाथियों को लेकर नर हाथियों के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा है।
वर्चस्व की लड़ाई बनी मौत की वजह
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के 1288 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में हाथियों, बाघों और अन्य वन्यजीवों की बड़ी संख्या निवास करती है। यहां बाघों की गणना वर्ष 2022 में 260 के आसपास दर्ज की गई थी, जबकि सीटीआर के शोध प्रभाग के आंकड़ों के अनुसार रिजर्व क्षेत्र में 1101 हाथी मौजूद हैं।
वन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि राज्य गठन के बाद से अब तक सीटीआर में कुल 106 हाथियों और 80 बाघों की प्राकृतिक मौतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 40 हाथियों की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई है।
हार्मोनल बदलाव और आक्रामकता का संबंध
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों में संघर्ष का सबसे बड़ा कारण ‘मस्ट’ (Musth) काल होता है। यह वह समय होता है जब नर हाथियों में हार्मोनल परिवर्तन के कारण अत्यधिक आक्रामकता आ जाती है। इस अवधि में वे मादा हाथियों तक पहुंचने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। कई बार यह संघर्ष इतना हिंसक हो जाता है कि एक या दोनों हाथियों की मौत हो जाती है।
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार बताते हैं कि बाघों के बीच आमतौर पर क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर झगड़े होते हैं, जबकि हाथियों में यह संघर्ष मादा के साथ संबंध स्थापित करने की इच्छा और हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है। “प्रजनन काल में नर हाथी अत्यधिक शक्तिशाली और अस्थिर हो जाते हैं, और किसी भी प्रतिद्वंद्वी को मारने तक पर उतर आते हैं,” उन्होंने बताया।
वन विभाग की चिंता और सतर्कता
कॉर्बेट प्रशासन ने इस बढ़ती समस्या को गंभीरता से लिया है। सीटीआर के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि हाथियों और बाघों के बीच आपसी संघर्ष के मामलों पर सतर्क निगरानी रखी जा रही है। “संघर्ष में मारे गए वन्यजीवों के शवों का पोस्टमार्टम कर वन विभाग की निगरानी में वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाता है,” उन्होंने कहा।
प्राकृतिक संतुलन पर खतरा
वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि ऐसे संघर्ष न केवल हाथियों की आबादी को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि पारिस्थितिकीय संतुलन पर भी असर डाल रहे हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्रजनन काल के दौरान हाथियों की गतिविधियों पर निगरानी और उनके लिए सुरक्षित, पृथक क्षेत्र सुनिश्चित किए जाएं ताकि संघर्षों को कम किया जा सके।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व देश के सबसे पुराने और प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है, जहां हाथियों और बाघों की सह-अस्तित्व की अनोखी जैव विविधता देखने को मिलती है। लेकिन बढ़ते आपसी संघर्षों ने अब इस संतुलन को खतरे में डाल दिया है।




