
देहरादून | उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा इस वर्ष नई ऊंचाइयों को छू रही है। मौसम की बेरुखी, भूस्खलन, सड़क अवरोध और कई प्रशासनिक चुनौतियों के बावजूद अब तक 41 लाख से अधिक श्रद्धालु बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब के दर्शन कर चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल पिछले वर्ष से अधिक है, बल्कि यह दर्शाता है कि श्रद्धालुओं की आस्था पर्वतीय कठिनाइयों से कहीं ऊपर है।
अप्रत्याशित वृद्धि: महीने-दर-महीने श्रद्धालुओं की संख्या में उछाल
चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल 2025 से हुई थी। मई, जून और जुलाई के आंकड़े चौंकाने वाले हैं – जहां पिछले साल 2024 में जून महीने में 14.58 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे, वहीं इस बार जून में यह संख्या बढ़कर 18.64 लाख हो गई। जुलाई 2025 में अब तक रिकॉर्ड 33.20 लाख तीर्थयात्री विभिन्न धामों में दर्शन कर चुके हैं। मई में भी बीते वर्ष की तुलना में चार गुना से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति दर्ज की गई।
महीना-वार तुलना (2024 बनाम 2025)
महीना | 2024 | 2025 |
---|---|---|
मई | 4,61,690 | 18,38,464 |
जून | 14,58,428 | 18,64,583 |
जुलाई | 2,88,634 | 33,20,500 |
धामवार आंकड़े: केदारनाथ सबसे आगे
पिछले तीन महीनों में धामवार श्रद्धालुओं की संख्या निम्नानुसार रही:
धाम | दर्शन कर चुके श्रद्धालु |
---|---|
केदारनाथ | 14,29,502 |
बदरीनाथ | 11,99,440 |
गंगोत्री | 6,61,057 |
यमुनोत्री | 5,79,200 |
हेमकुंड साहिब | 2,21,497 |
केदारनाथ यात्रा हमेशा से सबसे चुनौतीपूर्ण मानी जाती है, फिर भी सबसे अधिक श्रद्धालु यहीं पहुंचे हैं। बदरीनाथ की राह भी लंबी है, लेकिन सुविधाजनक पहुंच मार्ग होने के कारण इसकी संख्या भी उल्लेखनीय है।
पंजीकरण में लचीलापन: ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों व्यवस्था सक्रिय
यात्रा पंजीकरण के नोडल अधिकारी योगेंद्र गंगवार के अनुसार यात्रा फिलहाल सुचारु रूप से चल रही है। प्रतिदिन औसतन 2,000 से अधिक श्रद्धालु ऑफलाइन पंजीकरण करवा रहे हैं। हरिद्वार, हरबर्टपुर, ऋषिकेश और विकासनगर जैसे शहरों में पंजीकरण केंद्र स्थापित हैं, जिससे उन श्रद्धालुओं को सहूलियत मिली है जो तकनीकी रूप से ऑनलाइन प्रक्रिया में सहज नहीं हैं।
मौसम की मार, लेकिन रुका नहीं सफर
चारधाम यात्रा इस वर्ष अप्रैल के अंत से ही मौसम की चुनौती झेल रही है। मई-जून में भूस्खलन, लगातार वर्षा और कुछ मार्गों पर बर्फबारी के बावजूद यात्रा में रुकावट नहीं आई। हालांकि बीच-बीच में यात्रियों को कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रोका गया, लेकिन जैसे ही रास्ते खुले, श्रद्धालुओं का सैलाब फिर बह निकला। पर्यटन विभाग, पुलिस, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार कार्यरत हैं। तीर्थ यात्रियों के लिए राहत केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा, जलपान केंद्र, मोबाइल टॉयलेट, हेल्प डेस्क, CCTV निगरानी और हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
चारधाम यात्रा 2025, केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि साहस, धैर्य और विश्वास का परिचायक बन चुकी है। हर मुश्किल को पार कर श्रद्धालु लगातार ईश्वर के दर्शन को निकल रहे हैं। आगामी अगस्त और सितंबर में जब यात्रा धीरे-धीरे समापन की ओर बढ़ेगी, तब तक यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल दर्शनार्थियों की संख्या 55 लाख के पार जा सकती है. उत्तराखंड की पर्वतभूमि पर इस समय न सिर्फ धार्मिक ऊर्जा है, बल्कि एक असाधारण मानवीय धैर्य और आस्था की मिसाल भी बिखरी पड़ी है।