
देहरादून | उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र में चकबंदी विभाग से जुड़े एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। चकबंदी लेखपाल सुभाष कुमार को शुक्रवार को विजिलेंस विभाग ने 20 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। पीड़ित व्यक्ति की जमीन की सीमांकन प्रक्रिया के एवज में आरोपी लेखपाल ने पहले 40 हजार रुपये की मांग की थी, जिसे बाद में घटाकर 20 हजार कर दिया गया। पीड़ित ने रिश्वत देने के बजाय विजिलेंस से शिकायत की, जिसके आधार पर ट्रैप कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
लक्सर निवासी एक पीड़ित व्यक्ति की भूमि की सीमा में संशोधन होना था। इसके लिए वह बीते कई दिनों से चकबंदी कार्यालय के चक्कर लगा रहा था, लेकिन काम नहीं हो रहा था। आखिरकार जब उसने चकबंदी लेखपाल सुभाष कुमार से संपर्क किया, तो उसने साफ कहा कि यह काम बिना “सुविधा शुल्क” के नहीं होगा। शुरुआत में सुभाष कुमार ने 40 हजार रुपये की मांग की, लेकिन सौदेबाज़ी के बाद 20 हजार रुपये पर सहमति बनी।
विजिलेंस की त्वरित कार्रवाई, रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया आरोपी
पीड़ित ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत विजिलेंस विभाग से की। विभाग ने शिकायत की पुष्टि करने के बाद ट्रैप टीम गठित की और शुक्रवार को आरोपी को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ धर दबोचा। गिरफ्तारी के तुरंत बाद विजिलेंस टीम ने सुभाष कुमार के घर और कार्यालय पर तलाशी अभियान भी चलाया। प्रारंभिक जांच में कुछ दस्तावेज और संदिग्ध सामग्री बरामद की गई है, जिनकी जांच की जा रही है।
लेखपाल का दायरा और जिम्मेदारी पर सवाल
गौर करने वाली बात यह है कि सुभाष कुमार वर्तमान में न केवल लेखपाल के रूप में कार्यरत था, बल्कि वह कानूनगो का कार्यभार भी देख रहा था। इससे स्पष्ट है कि विभागीय स्तर पर अधिकारियों की भूमिका और जवाबदेही को लेकर भी गंभीर सवाल उठते हैं। क्या एक ही व्यक्ति को दोहरी जिम्मेदारी देना विभागीय लापरवाही का नतीजा नहीं है? क्या इससे भ्रष्टाचार के रास्ते और अधिक नहीं खुलते?
विजिलेंस का बयान
विजिलेंस निदेशक डॉ. वी. मुरुगेशन ने पुष्टि की कि आरोपी को शनिवार को स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरोपी के ठिकानों से कुछ दस्तावेज़ और संभावित रूप से आपत्तिजनक सामग्री मिली है, जिसकी जांच जारी है। विभागीय स्तर पर भी अब जांच शुरू की जाएगी कि कहीं और भी ऐसे मामले तो नहीं चल रहे।
प्रशासनिक ढांचे में सुधार की दरकार
यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह उस तंत्र की पोल खोलता है जहां आम नागरिकों को उनकी जमीन से जुड़े कार्यों के लिए भी भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। इससे न केवल शासन की साख पर बट्टा लगता है, बल्कि ग्रामीणों में सिस्टम के प्रति विश्वास भी कमजोर होता है। इस प्रकार के मामलों पर कठोर कार्रवाई और त्वरित न्याय प्रक्रिया ही ऐसे अधिकारियों के मन में भय पैदा कर सकती है।