
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में देर रात यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़, ओजरी और डाबरकोट के बीच सिलाई बैंड के पास बादल फटने से भारी तबाही मच गई। घटना रात लगभग 12 बजे की बताई जा रही है। इस दौरान एक होटल निर्माण स्थल पर काम कर रहे मजदूरों के टेंट बह गए, जिससे आठ से नौ मजदूर लापता हो गए हैं। बड़कोट थानाध्यक्ष दीपक कठेत के अनुसार, तेज बारिश के बाद आए सैलाब में सड़क निर्माण और अन्य कार्य में लगे श्रमिक बह गए। घटनास्थल पर प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने संयुक्त रूप से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने जानकारी दी कि अब तक 19 मजदूरों में से 10 को सुरक्षित रेस्क्यू कर पालीगाड़ लाया गया है और उन्हें उनके घरों की ओर रवाना कर दिया गया है। लापता मजदूरों में पांच नेपाली मूल के हैं, तीन देहरादून और एक उत्तर प्रदेश से है। उनकी तलाश की जा रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए रखा है और राहत-बचाव कार्य को तेज गति से संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि क्षेत्र में सड़कों की स्थिति अत्यंत खराब होने के कारण मशीनें घटनास्थल तक नहीं पहुंच पा रही हैं। 15 सदस्यीय टीम मौके पर रेस्क्यू कार्य में लगी है, जबकि अन्य लगभग 45 सदस्य रास्ते में हैं। आशंका है कि कुछ मजदूर मलबे के नीचे या नदी में बह गए हैं। बादल फटने के कारण यमुनोत्री हाईवे पर सिलाई बैंड समेत कई स्थानों पर सड़कें बंद हो गई हैं। ओजरी के पास सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है और खेतों में मलबा भर गया है। स्यानाचट्टी क्षेत्र के कुपड़ा कुंशाला त्रिखिली मोटर पुल को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। यमुना नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है।
स्याना चट्टी के पास कुपड़ा कुनसाला मोटर मार्ग पर भारी मलवा और बोल्डर गिरने से यमुना नदी का बहाव रुक गया है और वहां एक झील बनने लगी है। इससे तटीय क्षेत्रों में दहशत फैल गई है और स्थानीय होटल तक पानी पहुंच गया है। मौसम विभाग ने प्रदेश के सात जिलों — देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर — में भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। वहीं, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
लोगों को सतर्क रहने, नदी-नालों के पास न जाने और आवश्यक न होने पर पर्वतीय यात्रा से बचने की सलाह दी गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि 29 जून से एक जुलाई तक पूरे उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण भूस्खलन, जलभराव और नदियों का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।