
नैनीताल ज़िले में काठगोदाम से कैंचीधाम के बीच प्रस्तावित बाईपास निर्माण योजना को वन विभाग की आपत्ति के कारण फिलहाल झटका लगा है। वन विभाग ने प्रशासन द्वारा क्षतिपूरक वनीकरण के लिए चिह्नित 6.54 हेक्टेयर भूमि को अनुपयुक्त बताकर प्रस्तावित फाइल वापस लौटा दी है।
प्रशासन ने वर्ष 2019 में कैंचीधाम के लिए बाईपास बनाने का प्रस्ताव रखा था, जो ट्रैफिक दबाव और जाम की समस्या को देखते हुए दोबारा 2023 में पुनर्जीवित हुआ। योजना के तहत काठगोदाम से गुलाबघाटी होते हुए अमृतपुर तक 3.5 किमी लंबा बाईपास प्रस्तावित है, जिसमें गौला नदी पर एक पुल का निर्माण भी शामिल है।
प्रस्तावित बाईपास वन भूमि पर है और नियमों के तहत क्षतिपूरक वनीकरण के लिए वन विभाग को अलग जमीन देनी होती है। प्रशासन ने इसके लिए नैनीताल वन प्रभाग में भूमि दी थी, लेकिन प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन मिश्रा ने बताया कि उस भूमि का एक बड़ा हिस्सा पहले से पौधरोपण क्षेत्र है, इसलिए उसे अप्रयुक्त घोषित कर दिया गया।
अब प्रशासन, लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग की एक संयुक्त टीम चिह्नित जमीन का पुनः निरीक्षण करेगी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग को नया प्रस्ताव भेजा जाएगा। जिलाधिकारी वंदना ने जानकारी दी कि हाईकोर्ट के लिए प्रस्तावित भूमि से अब नई जमीन चिह्नित की गई है, जिसका प्रस्ताव शीघ्र ही भेजा जाएगा।
यह बाईपास कैंचीधाम आने-जाने वाले श्रद्धालुओं और नैनीताल-भीमताल मार्ग पर यातायात दबाव को कम करने के लिहाज से अहम परियोजना मानी जा रही है।