
शिमला। साइबर अपराधी बच्चों को मोहरा बना गेमिंग एप के जरिये भी अभिभावकों के खातों में सेंध लगा रहे हैं। हिमाचल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। शिमला में हाल ही में एक बच्चे ने पिता के मोबाइल फोन पर गेम खेलने के दौरान 30 हजार गंवा दिए। बैंक खाते से पैसे निकलने के बाद अभिभावकों को इस बारे में पता चला। इसके बाद अभिभावकों ने इसकी शिकायत साइबर क्राइम सेल के हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की। इसी तरह से बच्चे साइबर बुलिंग और साइबर स्टॉकिंग का भी शिकार हो रहे हैं।
सोशल मीडिया पर अनजाने लोगों को दोस्त बनाकर मुश्किल में फंस रहे हैं। साइबर क्राइम सेल शिमला में पिछले तीन महीनों में स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की 1,500 से ज्यादा शिकायतें आई हैं। यह साइबर अपराध से जुड़ी कुल शिकायतों का 1.08 फीसदी है। जांच में पता चला है कि बच्चों के वॉलेट सबसे जल्दी हैक होते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि बच्चे फोन का प्रयोग करते समय अनजाने लिंक पर क्लिक करते रहते हैं। अभिभावकों के फोन का इस्तेमाल करते समय साइबर अपराधी क्यूआर कोड स्कैन करके भी ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
इसमें कई बार अभिभावकों के खातों से लाखों की रकम निकल जाती है। इसके अलावा युवा सेक्सटिंग का भी शिकार हो रहे हैं। इसमें डिजिटल डिवाइस के माध्यम से साइबर अपराधी युवाओं को यौन संदेश, चित्र और वीडियो भेजते हैं। वीडियो कॉल करके युवाओं के फोटो लेकर आपत्तिजनक स्थिति में प्रदर्शित किए जाते हैं। गेम खेलते समय एक बच्चे ने स्टार हासिल करने के लिए कई ट्रांजेक्शन के जरिये 10 हजार रुपये की राशि पिता के बैंक खाते से एप पर ट्रांसफर कर दी। पहले तो माता-पिता को इस बारे में पता नहीं चला, क्योंकि यह राशि 100, 200 रुपये के हिसाब से ट्रांसफर की गई थी।
जब खाते से 10 हजार रुपये निकल गए तो अभिभावकों ने इसकी पड़ताल की। ट्रांजेक्शन की जांच करने पर पता चला कि यह किसी गेमिंग एप को भेजे गए हैं। मामले की शिकायत साइबर क्राइम सेल शिमला को मिली। विशेषज्ञों के मुताबिक, गनीमत रही कि यह वैरिफाइड गेमिंग एप थी, अगर किसी फर्जी एप पर बच्चा जाकर इस तरह की ट्रांजेक्शन करता तो खाते से सारे पैसे निकल सकते थे। शिमला शहर के एक कॉलेज की छात्रा को काफी समय से आपत्तिजनक मैसेज आ रहे थे।
पहले तो छात्रा ने इसको अनदेखा किया, लेकिन जब साइबर स्टॉकिंग करने वाला लगातार तरह-तरह से उसे परेशान करता रहा तो उसने मामले के बारे में साइबर क्राइम के हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल किया। साइबर विशेषज्ञ ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि छात्रा का पुराना दोस्त ही उसे परेशान करने के लिए इस तरह के मैसेज भेज रहा था।
- वैरिफाइड एप ही करें इस्तेमाल अभिभावक भी रखें नजर
- बच्चे वैरिफाइड गेमिंग एप का ही इस्तेमाल करें
- माता-पिता नजर रखें कि बच्चे मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं
- बच्चे फर्जी प्रोफाइल तो नहीं बना रहे हैं, इस पर भी नजर रखें
- अनजाने लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट जांच-परख कर ही स्वीकार करें
- अनजाने लिंक पर क्लिक न करें
- गेमिंग एप पर पैसों से संबंधित किसी भी प्रकार की ट्रांजेक्शन करने से बचें।