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देहरादून। खेलों के राष्ट्रीय फलक पर मेजबान उत्तराखंड के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से राज्य के खेल प्रेमी उत्साहित और चमत्कृत हैं। सरकार भी उतनी ही मुग्ध है। यह पहाड़ी राज्य के खिलाड़ियों की तीव्र ललक ही है, जो उन्हें पदक दिलाने में कामयाब रही। वह चाहे सरकारी नौकरी पाने के लिए हर हाल में पदक लाने की इच्छा ही क्यों न रही हो। 10 हजार मीटर दौड़ में राज्य को कांस्य दिलाने वाली सोनिया इसका उदाहरण हैं। उनके जैसे सभी पदकवीरों ने उम्मीद से बेहतर कर दिखाया है। फिलहाल सबकी जुबान पर एक ही बात है कि अब कर दिखाने की बारी सरकार की है।
पदक तालिका में उत्तराखंड टॉप टेन में शामिल हो चुका है। पदकों की संख्या 70 पहुंचने वाली है। अब तक हुए सभी राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। गोवा राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड 25वें स्थान पर था और खाते में दो दर्जन पदक ही दर्ज हो पाए थे। लेकिन घरेलू हालात में राज्य का प्रदर्शन ऐतिहासिक है। इस शानदार उपलब्धि से उत्साहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं, हमने अब खेल राज्य बनने की ओर मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं। खेल के इस वातावरण को और बेहतर बनाया जाएगा।
पिछले पांच राष्ट्रीय खेलों के मेजबान राज्यों के प्रदर्शन पर नजर डालेंगे तो अधिकतर ने टॉप टेन में जगह बनाई है। लेकिन अपने इस शानदार प्रदर्शन को दूसरे राज्यों में हुए राष्ट्रीय खेलों में वे नहीं दोहरा पाए। 37वें राष्ट्रीय खेलों का मेजबान गोवा 92 पदकों के साथ नौवें स्थान पर रहा था, लेकिन उत्तराखंड में वह नौ पदकों के साथ 25वें स्थान पर है। 36वें खेलों के मेजबान गुजरात ने 12वां स्थान बनाया था, लेकिन अभी वह 19 पदकों के साथ 22वें स्थान पर है। 34वें खेलों में पांचवें स्थान पर रहा झारखंड 21 पदकों के साथ 16वें स्थान पर है। नेशनल गेम्स की मेजबानी कर चुके राज्यों में केरल का प्रदर्शन कुछ बेहतर है। 35वें राष्ट्रीय खेल का मेजबान रहे केरल ने तब 162 पदकों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया था। अभी वह 40 पदकों के साथ नौंवे स्थान पर है।
घरेलू परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए दूसरे राज्यों में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में उसे दोहराना आसान नहीं होता। इन सभी राज्यों ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए ढांचागत सुविधाएं जुटाई होंगी, लेकिन उनके खिलाड़ियों के प्रदर्शन में आई कमी कहीं न कहीं खेल सुविधाओं के भरपूर उपयोग की कमी को भी जाहिर करती है। इस लिहाज से उत्तराखंड के लिए ये राज्य सबक भी हैं। खेल जानकारों का मानना है कि उत्तराखंड को खेल राज्य बनाने के लिए ढांचा सुविधाओं का प्रबंधन और उचित उपयोग सबसे जरूरी है। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स परिसर में करोड़ों की लागत से बना आइस स्केटिंग रिंक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो शीतकालीन खेल प्रतियोगिता के बाद सालों से बेकार पड़ा है।