वाराणसी/सुल्तानपुर। यूपी एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने मनाली से 5.628 किलो चरस लेकर मंगलवार को बस से बनारस आ रहे युवक और युवती को सुल्तानपुर जिले के कोतवाली देहात थाने के पास से गिरफ्तार कर लिया। दोनों की पहचान चितईपुर थाना क्षेत्र के कंदवा की रहने वाली शिखा वर्मा और बिहार के सुपौल जिले के गडबडुवाड़ी के संतोष कुमार झा के रूप में हुई है। दोनों के पास से 2600 रुपये और चार मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। एसटीएफ के मुताबिक, वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के नीलकंठ (काली माता मंदिर के पास) का निवासी देवेंद्र कुमार मिश्रा गिरोह का सरगना है। उसकी तलाश में दबिश दी जा रही है। बरामद चरस की कीमत 30 लाख रुपये बताई गई है।
यूपी-एसटीएफ की वाराणसी इकाई के एडिशनल एसपी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि अंतरराज्यीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी की सूचना मिली थी। इसी आधार पर प्रभावी कार्रवाई करने की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह को दी गई। इंस्पेक्टर ने पड़ताल शुरू की तो सामने आया कि वाराणसी में ड्रग्स माफिया का एक संगठित गिरोह काम कर रहा है। गिरोह के सदस्य चरस, गांजा, हशीश, स्मैक जैसे मादक पदार्थ हिमाचल प्रदेश के मनाली और बिहार, नेपाल के बॉर्डर से लाकर वाराणसी और आसपास के जिलों में बेचते हैं। मादक पदार्थ बस या ट्रेन से लाया जाता है ताकि किसी को शक न हो सके।
इसी बीच पता चला कि तस्कर गिरोह के दो सदस्य गत 21 जनवरी को चरस लेने बस से मनाली गए हैं। दोनों चरस लेकर मनाली से दिल्ली होते हुए वाराणसी आ रहे हैं। सूचना के आधार पर लखनऊ-वाराणसी रोड पर सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाने के गेट के पास बस को रोक कर तलाशी शुरू कराई गई। तलाशी में युवक और युवती के पास से चरस बरामद हुई तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों के खिलाफ सुल्तानपुर के कोतवाली देहात थाने में मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया है। पूछताछ में संतोष और शिखा ने बताया कि उन्होंने हिमाचल के ओल्ड मनाली से तनु नामक व्यक्ति से चरस लिया था। इस काम के लिए दोनों को प्रति चक्कर 50-50 हजार रुपये दिए जाते थे।
एसटीएफ के अनुसार पूछताछ में संतोष कुमार झा ने बताया कि वह गिरोह के सरगना देवेंद्र कुमार मिश्रा का रिश्तेदार है। वह पैसे के लालच में देवेंद्र के साथ मादक पदार्थ की तस्करी करता है। शिखा वर्मा मादक पदार्थ का सेवन करने की आदी है। शिखा को नशे के लिए मादक पदार्थ और पैसे का लालच देकर गिरोह में शामिल किया गया था। शिखा को साथ लेने का फायदा भी मिलता था। मादक पदार्थ लाते समय शिखा पर किसी को शक नहीं होता था। देवेंद्र मादक पदार्थ मंगाने के एवज में ऑनलाइन भुगतान करता था। इसके बाद गिरोह के लोगों को मोबाइल देकर मादक पदार्थ लाने के लिए भेजता था।